Vyavsthit dincharya ki upyogita par 600 sabdo me nibandh
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आप स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन की कामना तब ही कर सकते हैं जब आप एक व्यस्थित दिनचर्या का पालन करेंगे । जिस तरह जीवन जीने हेतु तीन चीजों ( भोजन , कपड़ा और आवास ) को होना अनिवार्य है , उसी प्रकार जीवन जीने को सही दिशा प्रदान करने कै लिए दिनचर्या का अनुसरण करना अनिवार्य है ।क्रमबद्ध , सुसज्जित दिनचर्या व्यक्ति को गर्त से शिखर तक पहूँचा सकता है ।स्वामी विवेकानन्द , डॉ० एपीजे अब्दूल कलाम , अल्बर्ट आईन्स्टाइन , थॉमस अल्वा एडीसन, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सफलता का राज सफल दिनचर्या ही तो है ।
दिनचर्या की उपयोगिता केवल स्वास्थ्य के लिए अपितु शिक्षा , व्यापार , रोजगार सभी के लिए उपयोगी है ।
स्वस्थ जीवन के लिए दिनचर्या:-
स्वस्थ जीवन के लिए यह जरुरी है कि हम प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठे , शौच-नित्यक्रम आदि के बाद व्यायाम करें , सुबह की ताजी हवा हमारे जीवन में ताजगी एवं स्फूर्ति प्रदान करती है ।
भोजन का सेवन हमेशा समय पर करना चाहिए। मैने एक कहावत बचपन में दादा से सुना करता था " रहो सादा , निभवो बाप- दादा " कहने का अर्थ भोजन जितना साधारण सेवन करेंगे आपकी आयु उतनी लम्बी होगी ।स्वास्थ्य के लिए आराम भी बहूत मायने रखता है । इसिलिए न्यूनतम ७ घंटे नित्य सोना एवं समय पर सोना स्वास्थ्य की कुंजी है ।
शिक्षा के लिए दिनचर्या :-
शिक्षा के लिए बनाये गये सफल दिनचर्या हमारे भाग्य को बदलने की क्षमता रखता है । आपने संस्कृत व्याकरण रचयिता ' पाणिनी ' के बारे में पढा होगा । उन्होने अपने नियमित परिश्रम से भाग्य को बदल लिया था ।यह संभव है कि आप किसी विषय में कमजोर हो , किन्तु अगर आप नियमित एवं व्यस्थित क्रम से विषय का अध्ययन करेंगे तो उस विषय के ज्ञानी होंगे । अध्ययन एवं अभ्यास शनैै - शनै करनी चाहिए और नित्य करनी चाहिए । १-२ घंटो के अध्ययन पश्चात् कुछ समय के लिए आराम करना चाहिए। इससे अध्ययन में आनंद एवं रुचि की कमी नही आती है ।
इसी प्रकार हम पाते हैं कि
" दिनचर्या एक ऐसी तकनीक है , जिसके माध्यम से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं ।।"
दिनचर्या की उपयोगिता केवल स्वास्थ्य के लिए अपितु शिक्षा , व्यापार , रोजगार सभी के लिए उपयोगी है ।
स्वस्थ जीवन के लिए दिनचर्या:-
स्वस्थ जीवन के लिए यह जरुरी है कि हम प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठे , शौच-नित्यक्रम आदि के बाद व्यायाम करें , सुबह की ताजी हवा हमारे जीवन में ताजगी एवं स्फूर्ति प्रदान करती है ।
भोजन का सेवन हमेशा समय पर करना चाहिए। मैने एक कहावत बचपन में दादा से सुना करता था " रहो सादा , निभवो बाप- दादा " कहने का अर्थ भोजन जितना साधारण सेवन करेंगे आपकी आयु उतनी लम्बी होगी ।स्वास्थ्य के लिए आराम भी बहूत मायने रखता है । इसिलिए न्यूनतम ७ घंटे नित्य सोना एवं समय पर सोना स्वास्थ्य की कुंजी है ।
शिक्षा के लिए दिनचर्या :-
शिक्षा के लिए बनाये गये सफल दिनचर्या हमारे भाग्य को बदलने की क्षमता रखता है । आपने संस्कृत व्याकरण रचयिता ' पाणिनी ' के बारे में पढा होगा । उन्होने अपने नियमित परिश्रम से भाग्य को बदल लिया था ।यह संभव है कि आप किसी विषय में कमजोर हो , किन्तु अगर आप नियमित एवं व्यस्थित क्रम से विषय का अध्ययन करेंगे तो उस विषय के ज्ञानी होंगे । अध्ययन एवं अभ्यास शनैै - शनै करनी चाहिए और नित्य करनी चाहिए । १-२ घंटो के अध्ययन पश्चात् कुछ समय के लिए आराम करना चाहिए। इससे अध्ययन में आनंद एवं रुचि की कमी नही आती है ।
इसी प्रकार हम पाते हैं कि
" दिनचर्या एक ऐसी तकनीक है , जिसके माध्यम से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं ।।"
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