Wadi Mein pavitrata Kaisi Aati Hai
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व्यक्ति वाणी के ही माध्यम से अपने आप को ऊपर उठा सकता हे व नीचे गिरा सकता है वाणी की मधुरता ही मानव जीवन का आनंद माना गया है, वाणी की मधुरता से ही हम हर किसी का दिल जीत सकते है। व्यक्ति के जीवन में शील गुणों का होना जरूरी होता हे हमारी उपलब्धियां तथा सफलताएं इसी पर निर्भर रहती हैं।
शिक्षित होने के साथ-साथ यदि हमारी वाणी में मधुरता नहीं हे तो हमारी शिक्षा बेकार है हमें हमेशा अपनी वाणी पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि यदि एक बार मुख से निकले कठोर वचन दोबारा वापस नहीं आते और हो सकता उन वचनों से किसी व्यक्ति को दुख पहुचे।
इसलिए कहा गया हे कि जिस तरह धनुष से निकला बाण दोबारा वापस नहीं आता उसी तरह मुख से निकला शब्द भी वापश नहीं आता गलत शब्दों का प्रयोग करने से हमारी मित्रता भी शत्रुता में बदल सकती हैं।
हमारी वाणी से निकाले गये शब्दों मे ज्ञान सत्य व मधुरता का होना अतिआवश्यक हे इससे व्यक्ति की महानता और भी बड़ जाती है हमारे द्वारा प्रयोग किये गये शब्दों से ही हमारी आत्मा के स्वरुप तथा पूर्व जन्मों के संस्कार मन तथा कर्म का प्रतिविम्ब दिखाई देता है।
हमारे मन तथा कर्म की पवित्रता से ही वचन में श्रेष्ठता आती है। हमे प्रत्येक बात को हृदय रुपी तराजू से तोलकर अर्थात कहने का अर्थ यह हे कि सोच समझ कर ही बोलनी चाहिए क्योंकि विनम्रता ही मानव जीवन का सबसे बड़ा श्रंगार माना गया है। भगवान ने हमे जो वाणी दी हे उसका सद उपयोग करना चाहिए है।