Hindi, asked by rakesh2005roshan, 20 days ago

what is AABHAR GYAPAN ?

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Answered by BrainlyBAKA
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धन्यवाद, आभार, साधुवाद आदि ऐसे ही शब्द हैं ।

धन्यवाद : धन्य संस्कृत का एक विशेषण है।इसमें वाद लगने से धन्यवाद एक संज्ञा बना जो पुल्लिंग है। धन्यवाद का आशय धन्य कहने से है यानी कहनेवाला जिसको कह रहा है,उसके कार्य को श्रेष्ठ कर्म मानते हुए अपनी कृतज्ञता प्रकट करता है। जैसे आपके दर्शन पाकर मैं धन्य हुआ यानी दूसरे शब्दों में, आपके दर्शन के लिए मेरी ओर से धन्यवाद/ साधुवाद ।

आभार संस्कृत में एक संज्ञा है और पुल्लिंग है।

जैसाकि मैंने पहले कहा कि किसी के किये नेक कार्य मूल्य से परे होते हैं, तो यह एक भार/ जिम्मेदारी बनकर प्राप्तकर्ता के ऊपर आ जाती कि इसके बदले में वह क्या कह सकता है— आभार व्यक्त कर सकता है यानी आपके प्रति कृतज्ञता का भार मुझ पर है। मैं आभारी हूँ ।आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ/करती हूँ ।

Answered by Disha094
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आभार, कृतज्ञता, या प्रशंसा किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त किये गए अथवा प्राप्त होने वाले लाभ की अभिस्वीकृति में एक सकारात्मक भावना या प्रवृति है। कैलिफोर्निया के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डेविस, रॉबर्ट डेविस, के अनुसार आभार को तीन शर्तों की आवश्यकता होती है: एक विनम्र व्यक्ति को इस तरह व्यवहार करना चाहिए, जो उसके लिए 1) महंगा 2) प्राप्तकर्ता के लिए मूल्यवान और 3) जानबूझकर प्रस्तुत किया गया था।[1] आभार शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द ग्रेटिया (gratia) से हुई है जो कृतज्ञता, शालीनता और कृपा शब्दावली से संबंधित है।[2] इस लैटिन मूल शब्द का तात्पर्य "दया, उदारता और उपहार देने और प्राप्त करने की सुंदरता" से है।[1] आभार का अनुभव ऐतिहासिक रूप से दुनिया के विभिन्न धर्मों का केंद्र बिंदु रहा है,[3] और एडम स्मिथ जैसे नैतिक दार्शनिकों द्वारा इस पर व्यापक रूप से विचार किया गया है।[4] मनोविज्ञान में कृतज्ञता का व्यवस्थित अध्ययन केवल वर्ष 2000 के आसपास ही शुरू हुआ है, संभवतः क्योंकि परंपरागत रूप से मनोविज्ञान में संकट को समझने के बजाय सकारात्मक भावनाओं की समझ पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया

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