what is mean of कारक
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कारक ( Case )
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे उसका संबंध क्रिया तथा दूसरे शब्दों के साथ पता चलता है , उसे कारक कहते हैं ।
कारक के भेद ( Kinds of Case )
कारक के आठ भेद होते हैं :-
1) कर्ता कारक ( ने )
= कर्ता का अर्थ है करने वाला । संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है । वह कर्ता कारक कहलाता है ।
- मैंने खाना पकाया ।
- सचिन ने शतक लगाया ।
2) कर्म कारक ( को )
= जिस वस्तु या व्यक्ति पर क्रिया के व्यापार का प्रभाव पड़े , वह कर्म कारक कहलाता है ।
- पांडवों ने कौरवों को हराया ।
- पुलिस ने चोर को पकड़ा ।
3) करण कारक ( से )
= संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के साधन का बोध हो , वह करण कारक कहलाता है ।
- बालक गेंद से खेलता है ।
- वह बस जम्मू पहुंचा ।
4) संप्रदान कारक ( को , के लिए )
= जिस संज्ञा या सर्वनाम के लिए कुछ किया जाए या कुछ दिया जाए , वह संप्रदान कारक कहलाता है ।
- मैंने गरीबों को वस्त्र दिया ।
- पिताजी ने नेहा को उपहार दिए ।
5) अपादान कारक ( से )
= संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से अलग होने का बोध हो , वह अपादान कारक कहलाता है ।
- वह गांव से शहर गया ।
- वृक्ष से पत्ते गिरे ।
6) संबंध कारक ( का , के , की / रा , रे , री )
= संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से प्रकट हो , वह संबंध कारक कहलाता है ।
- मोनू की मां बीमार है ।
- मीरा का महल बहुत सुंदर है ।
7) अधिकरण कारक ( में , पर )
= संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप द्वारा क्रिया के आधार का बोध हो , वह अधिकरण कारक कहलाता है ।
- बच्चे कमरे में खेल रहे हैं ।
- कबूतर डाल पर बैठा है ।
8) संबोधन कारक ( हे ! , अरे ! , अहो ! , )
= संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी को संबंधित किया जाए या पुकारा जाए , वह संबोधन कारक कहलाता है ।
- अरे दीपक ! इधर आओ ।
- हे प्रभु ! इन्हें सद्बुद्धि दो ।
Explanation:
अपादान और करण कारक में अंतर
अपादान तथा करण , दोनों ही कारकों को विभक्ति चिन्ह ''से'' है , परंतु अपादान कारक में अलग होने का भाव और करण कारक में साधन का ज्ञान होता है ।
संप्रदान और कर्म कारक में अंतर
कर्म और संप्रदान कारक दोनों में ही "को" का प्रयोग होता है , किंतु संप्रदान कारक में करता की क्रिया स्वयं के लिए ना होकर किसी के लिए या देने के अर्थ में होती है । जबकि कर्म में करता स्वयं उस फल से जुड़ा रहता है ।
जैसे
- सिलानी मोनू को पुस्तक दी । ( संप्रदान कारक )
- मोहन ने कुत्ते को मारा । ( कर्म कारक )
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Answer:
रूपविज्ञान के सन्दर्भ में, किसी वाक्य, मुहावरा या वाक्यांश में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ उनके सम्बन्ध के अनुसार रूप बदलना कारक कहलाता है। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं।