Math, asked by Anonymous, 3 months ago

What is physics?




Zehrili mujhe pta hai ki tu pagal ho gyi hai
Ab faltu bakna band krr
he is my friend​

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Answered by lakshmi90roy
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Step-by-step explanation:

विज्ञापनों का सामाजिक जीवन पर प्रभाव- विज्ञापन की मायावी दुनिया का मूल लक्ष्य सम्बन्धित सेवा को उसके उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होना हैं. वस्तु की गुणवत्ता, दोष के इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता हैं इस लिए कहा जाता है जो दीखता है वही बिकता हैं. आज लोग गुणवत्ता की परख को छोड़कर विज्ञापन की हस्ती के कथनानुसार ही खरीद करते नजर आ रहे हैं.

विज्ञापन ही बाजार की मांग का निर्धारण कर रहे हैं. आज के भड़कीले और चमक दमक वाले ऐड आम आदमी को मुर्ख बनाने की होड़ में लगे हैं. जो जितने अधिक लोगों को मूर्ख बना सकता हैं वही अधिक माल कमाता हैं खासकर अपरिपक्व बच्चों के दिमाग के साथ खेलना इन्हें बेहद पसंद होता हैं. आमतौर पर विज्ञापनों को इस तरह से तैयार किया जाता है जिससे महिला व बच्चों को अधिक आकर्षित किया जा सके.

विज्ञापनों के विविध प्रकार – एक व्यक्ति के जन्म से मरण तक आवश्यक समस्त वस्तुएं आज विज्ञापन के जरिये प्रसारित की जाती है. जिसमें खाने पीने की चीजे, पहनावे के वस्त्र जूते, सरकारी योजनाएं अभियान, रेलियाँ, कार्यक्रम, विवाह, नौकरी, खरीद बिक्री से जुड़े लुभावने विज्ञापन बनाए जाते हैं. सभी आयुवर्ग की सीमा को लांघकर यह सार्वजनिक प्रचार किया जाता हैं. पान मसाले से लेकर कंडोम तक के प्रसार होते हैं.

हमारे जीवन को प्रभावित करने में विज्ञापनों की भूमिका- आज के प्रतिस्पर्धा के युग में बाजार एक ही उत्पाद के सैकड़ों ब्रांड से भरे पड़े हैं. ग्राहक अपनी आवश्यक की वस्तु किस ब्रांड की खरीदे उनके इस निर्णय में विज्ञापन अपनी अहम भूमिका अदा हैं. यदि व्यक्ति को नहाने का साबुन चाहिए, दूध, घी, आटा चाहिए तो वह लक्ष, अमूल, पतंजली के उत्पाद को ही अमूमन खरीदता हैं क्योंकि यह उन्ही के बारे में विज्ञापनों से जान पाया हैं.

विज्ञापनों का दायित्व – इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, कि आज के बाजार में विज्ञापन एक अहम स्तम्भ के रूप में स्थापित हो चूका हैं. आमतौर पर देखा गया हैं. गलत सूचनाओं एवं भ्रामक प्रसार के जरिये दूषित और गुणवत्ता हीन वस्तुओं को बेचा जाने लगा हैं. कोका कोला, पेप्सी या थम्स अप ये पेय पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं मगर इस पहलू को छिपाकर हस्तियाँ इसके प्रोत्साहन के लिए विज्ञापन करती हैं. सरकार एवं समाज को चाहिए कि लोगों को गलत एवं भ्रामक संदेश के जरिये बेवकूफ बनाने वाली कम्पनि व लोगों को सबक सिखाया जाए

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