What is Swatantra Bharat? Write a short note on it.
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Independence Day is a National Festival of India celebrated on 15th of August every year. India became a free country on this day and it’s only then we could secure our democratic rights as citizens of India. Our Independence gives us the reason to enjoy our fundamental rights laid down by the constitution. We are now a self-governed democratic country and have the voting rights. The feeling of self-reliance and freedom fills the heart of the citizens with supreme happiness and joy. It is all due to the tireless efforts and numerous sacrifices of several great people who sacrificed their lives without any fear.
AnjaliAleya:
sry i dont really understand hindi
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hey mate here is
your ans...
स्वतंत्र भारत एक विश्व गुरु बनने का आगाज का प्रतीत है जिसमे संविधान मे बनाए गए... जिसमे मानव के अधिकारों का वर्णन किया गया है..... इस श्रेणी मे एक समाचार पत्र को भी दर्शाया गया है जो इस प्रकार है......
स्वतंत्र भारत लखनऊ एवं कानपुर से प्रकाशित हिंदी का एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है।
१५ अगस्त १९४७ को लखनऊ से 'स्वतन्त्र भारत' का प्रकाशन अशोक जी के सम्पादन में हुआ। प्रारम्भ में ही इसने अवध की संस्कृति, लोग जीवन और इतिहास पर बहुत ध्यान दिया। दैनिक व्यंग्य विनोद का स्तम्भ काँव-काँव इसकी विशेषता थी। अशोक जी और बलदेव प्रसाद मिश्र इस स्तम्भ के मुख्य लेखक रहे। सन् १९५३ में अशोक जी के केन्द्रीय सूचना विभाग में चले जाने पर सहकारी योगेन्द्र पति त्रिपाठी ने इसका सम्पादन सम्भाला और ३१ अगस्त १९७१ ई॰ को अपनी असामयिक मृत्यु तक इसे बड़ी योग्यता से चलाया। उत्तरप्रदेश की राजनीति में इस पत्र का अच्छा प्रभाव है। काँव-काँव, अग्रलेख टिप्पणी, व्यंग्य-चित्र, देश चक्र, देश-देशान्तर, विदेश-चर्चा, आपके विचार, सुझाव-शिकायत, राज्यों की चिठ्ठियां आदि इसके स्थायी स्तम्भ हैं।
your ans...
स्वतंत्र भारत एक विश्व गुरु बनने का आगाज का प्रतीत है जिसमे संविधान मे बनाए गए... जिसमे मानव के अधिकारों का वर्णन किया गया है..... इस श्रेणी मे एक समाचार पत्र को भी दर्शाया गया है जो इस प्रकार है......
स्वतंत्र भारत लखनऊ एवं कानपुर से प्रकाशित हिंदी का एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है।
१५ अगस्त १९४७ को लखनऊ से 'स्वतन्त्र भारत' का प्रकाशन अशोक जी के सम्पादन में हुआ। प्रारम्भ में ही इसने अवध की संस्कृति, लोग जीवन और इतिहास पर बहुत ध्यान दिया। दैनिक व्यंग्य विनोद का स्तम्भ काँव-काँव इसकी विशेषता थी। अशोक जी और बलदेव प्रसाद मिश्र इस स्तम्भ के मुख्य लेखक रहे। सन् १९५३ में अशोक जी के केन्द्रीय सूचना विभाग में चले जाने पर सहकारी योगेन्द्र पति त्रिपाठी ने इसका सम्पादन सम्भाला और ३१ अगस्त १९७१ ई॰ को अपनी असामयिक मृत्यु तक इसे बड़ी योग्यता से चलाया। उत्तरप्रदेश की राजनीति में इस पत्र का अच्छा प्रभाव है। काँव-काँव, अग्रलेख टिप्पणी, व्यंग्य-चित्र, देश चक्र, देश-देशान्तर, विदेश-चर्चा, आपके विचार, सुझाव-शिकायत, राज्यों की चिठ्ठियां आदि इसके स्थायी स्तम्भ हैं।
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