what is the moral of Chandragupta and chanakya
Answers
Answered by
1
Explanation:
प्रतिभा के धनी चाणक्य स्वयं कुरूप थे। चंद्रगुप्त मौर्य को एक दिन मजाक सूझा और उन्होंने चाणक्य से कहा, ‘आचार्य जी, पूरी दुनिया जानती है कि आप कितने गुणवान हैं परंतु क्या ही अच्छा होता आप रूपवान भी होते!’ आचार्य कुछ बोलते उससे पहले ही महारानी ने उत्तर दिया, ‘महाराज, रूप तो मृगतृष्णा है। व्यक्ति की पूजा उसके रूप से नहीं बल्कि गुण और बुद्धि से होती है।’ चंद्रगुप्त ने कहा, ‘आप रूपवती होकर भी ऐसी बातें कहती हैं! क्या कोई ऐसा उदाहरण है, जहां गुण के सामने रूप की कोई अहमियत न हो?’ चाणक्य ने उत्तर दिया, ‘बहुतेरे उदाहरण भरे पड़े हैं महाराज! आप पहले यह ठंडा पानी पीकर शांत हो लें, फिर बात करेंगे।’
if you liked my answer please follow me
Similar questions