Hindi, asked by belikedhanu, 1 year ago

what is the summary of poem बसंती हवा

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Answered by AbsorbingMan
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                              बसंती हवा - सारांश

हमारे देश में छह ऋतुएँ होती हैं, इन ऋतुओं में बसंत ऋतु को सर्वप्रिय ऋतु माना जाता है। बसंती हवा बसंत ऋतु में बहती है।बसंती हवा बावली, निडर और मस्तमौला होती है। उसे किसी बात की फ़िक्र नहीं होती। वह ऐसी मुसाफ़िर है जो जहाँ चाहे वहाँ घूमती है।बसंती हवा का कोई घर नही, प्रेमी नहीं और न कोई दुश्मन है। वह घूमते घूमते शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन, हरे खेत, पोखर में चली जाती है।वह महुआ के पेड़ पर चढ़ती है, उस पर से नीचे गिरती है और फिर आम के पेड़ पर चढ़कर बच्चों की तरह उसके कानों में ‘कू’ आवाज़ करके भाग जाती है।वह गेहुँओं के खेत में अपनी लहरे देर तक मारती है। अलसी की फसल जिसकी तुलना कवि ने कलश से की है, उसे हिलाती है पर अलसी गिरती नहीं जिससे वह हार मानकर आगे बढ़ जाती है और सरसो को नहीं हिलाती।फिर वह रास्ते से गुज़र रहे पथिक को अपनी हवा के ज़ोर से ढ़्केलती है। जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे वह हँस रही हो। इसे देख सारे खेत, चमचमाती धूप तथा पूरी सृष्टी हँसने लगती है।

मूल्य – सब की प्रिय, स्वतंत्र और मस्तमौला बसंत ऋतु में बहने वाली बसंती हवा कितनी मनमोहक होती है।

Answered by sattineniharika683
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