What will i do if i met a fairy in hindi
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सोने के कुछ देर बाद एक आवाज़ आई-“ रमेश…रमेश…”
रमेश ने आँखें खोलीं तो सफ़ेद वस्त्रों में एक परी खड़ी थी। वह बहुत सुन्दर थी और उसने अपने एक हाथ में जादुई छड़ी ले रखी थी, और दुसरे हाथ में एक मैजिकल बॉल थी जिसमे से एक सुनहरा धागा लटक रहा था।
रमेश परी को देखकर ख़ुशी से झूम उठा! और कुछ देर परी से बातें करने के बाद बोला, “आपके हाथ में जो छड़ी है उसे तो मैं जानता हूँ पर आपने जो ये बॉल ली हुई है उससे ये सुनहरा धागा कैसा लटक रहा है?”
परी मुस्कुराई, “रमेश, यह कोई मामूली धागा नहीं; दरअसल यह तुम्हारे जीवन की डोर है! अगर तुम इसे हल्का सा खींचोगे तो तुम्हारे जीवन के कुछ घंटे कुछ सेकंड्स में बीत जायेंगे, यदि इसे थोड़ा तेजी से खींचोगे तो पूरा दिन कुछ मिनटों में बीत जाएगा और अगर तुम उसे पूरी ताकत से खींचोगे तो कई साल भी कुछ दिनों में बीत जायेंगे।”
“तो क्या आप ये मुझे दे सकती हैं?”, रमेश ने उत्सुकता से पूछा।
“हाँ-हाँ, क्यों नहीं , ये लो…पकड़ो इसे…पर ध्यान रहे एक बार अगर समय में तुम आगे चले गए तो पीछे नहीं आ सकते।”, “ परी ने जीवन की डोर रमेश के हाथों में थमाते हुए कहा और फ़ौरन अदृश्य हो गयी।
अगेल दिन रमेश क्लास में बैठा खेलने के बारे में सोच रहा था, पर टीचर के रहते वो बाहर जाता भी तो कैसे?
तभी उसे परी द्वारा दी गयी सुनहरे धागों वाली बॉल का ख्याल आया। उसने धीरे से बॉल निकाली और डोर को जरा सा खींच दिया…कुछ ही सेकंड्स में वह मैदान में खेल रहा था।