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Answer:
सारांश
1.बारहमासा
2.कोशिश करने वालों की
निबंध
1.परिश्रम का महत्व
2.होली
Explanation :
1.बारहमासा मूलतः एक विरहप्रधान लोक संगीत है। वर्ष भर के बारहमास में नायक - नायिका की श्रृंगारिक विरह और मिलन की क्रियाओं के चित्रण को बारहमासा कहते हैं। इसके पद्य या गीत में बारहों महीने की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुख से कराया जाता है। इस गीत में वह अपनी दशा को हर महीने की खासियत के साथ पिरोकर रखती है। इस शैली में ज्यादातर किसी स्त्री का पति परदेस कमाने चला जाता है और वह दुखी मन से अपनी सखी को बताती है कि पति के बिना हर मौसम व्यर्थ है।
2.कवि हमें निर्देशित करके कविता शुरू करता है कि जो कभी कोशिश नहीं करता वह असफल हो जाता है। फिर वह एक चींटी का उदाहरण देता है जो अपने भोजन को इकट्ठा करने के लिए बहुत मेहनत करती है और उसे दीवार पर चढ़कर अपने घर ले जाती है लेकिन इस प्रक्रिया में वह कई बार नीचे गिरती है लेकिन फिर भी वह उम्मीद नहीं खोती है और फिर से कोशिश करती है और फिर से सफल होने तक। फिर वह एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण देता है जो मोती इकट्ठा करने के लिए सिंधु नदी पर जाता है। वह कई बार खाली हाथ आता है लेकिन हर बार नहीं क्योंकि वह उम्मीद नहीं खोता है और जब तक वह सफल नहीं हो जाता है तब तक कोशिश करता रहता है। अंत में कवि हमें असफलता को चुनौती के रूप में लेने के लिए निर्देशित करता है और शांत और दृढ़ निश्चयी बनकर सबकुछ जीत सकता है।
निबंध
1.मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।
वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।
ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है
2.होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। होली को बसंत का यौवन भी कहा जाता है। प्रकृति सरसों की पीली साड़ी पहनकर किसी की राह देखती हुई प्रतीत होती है। हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं। बसंत के मौसम में प्रकृति की सुन्दरता भी मनमोहक होती है।
जब सारी प्रकृति यौवन से सराबोर हो जाती है तो मनुष्य भी आनन्द से झूमने लगता है होली पर्व इसी का प्रतीक है। इस रंगीन उत्सव के समय पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है। होली के त्यौहार को मनाने के लिए इस दिन स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में सरकारी छुट्टी होती है।
जिस तरह मुसलमानों के लिए ईद का त्यौहार, ईसाईयों के लिए क्रिसमस का त्यौहार जो महत्व रखता हैं उसी तरह हिन्दुओं के लिए भी होली के त्यौहार का बहुत महत्व होता है। होली का त्यौहार अब इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। भारत के अतिरिक्त बहुत से देशों में अब लोग होली का त्यौहार मनाने लगे हैं।