CBSE BOARD X, asked by kasanaishika78, 11 months ago

Will mark u as BRAINLIEST लखनवी अंदाज - लेखक नवाब साहब के बारे में क्या क्या कल्पनाएं करने लगे?

Answers

Answered by radhakrishna1551
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Explanation:

लखनवी अंदाज़ summary - लखनवी अंदाज़ कहानी एक व्यंगात्मक कहानी है .यशपाल जी मध्यवर्गीय समाज की दोहरे मानसिकता पर व्यंग करने में सिद्धहस्त हैं .कहानी के प्रारंभ में लेखक एक पैसेंजर ट्रेन से पास के ही स्टेशन तक यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट खरीदता है .उसे ज्यदा दूर जाना नहीं था इसीलिए वह चाहता था कि एकांत में बैठकर नयी कहानी के सम्बन्ध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य भी देख सके.

लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ गया . एक बर्थ पर लखनऊ की नबाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन बाद सुबदीहा से पालथी मारकर बैठे थे। उनके सामने ही दो ताज़े खीरे तौलिये पर रखे थे। सज्जन ने लकेहक के आने पर कोई उत्साह नहीं दिखाया। लेखक को लगा कि सज्जन उन्हें अपनी बराबरी का आदमी नहीं मानते।

काफी देर बाद नबाब साहब ने लेखक को सम्बोधित किया और खीरे खाने को कहा - जनाब खीरे का शौक फरमाइए। लेकिन लेखक ने सधन्यवाद सहित लौटा दिया। कुछ समय बाद नबाब साहब ने खीरे के नीचे रखा हुआ तौलिया झाड़कर सामने बिछा लिया। सीट के नीचे से लोटा उठाकर खीरे को खिड़की के बहार धोया और तौलिये से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाला। दोनों सिरों को काट पर गोदकर झाग निकाला। फिर जीरा मिला नमक और मिर्ची हुई लाल मिर्च लगाकर करीने से तौलिये पर सजाते गए.

यह सब करने के बाद नबाब साहब ने लेखक को खीरे के लिए पूछा और कहा कि - "वल्लाह शौक कीजिये ,लखनऊ का बालम खीरा है। " लेखक को खीरे को देखक मुँह में पानी आ रहा था लेकिन औपचारकिकतावश मेदा कमज़ोर होने की बात कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया।इसके बाद नबाब साहब ने खीरे की एक एक फाँक उठाकर होंठों तक लाकर ,फाकों को सूंघ कर ही आनंद से भरकर खिड़की से बाहर फेंखते गए। इस प्रकार रसास्वादन कर खीरे को फेंककर गर्व से पुलकित होकर कह रहे थे जैसे कि यह खानदानी रईस का तरीका हो। लेखक को नबाब साहब के पेट से डकार का शब्द भी सुनाई दिया।

यह सब देखकर लेखक सोचने लगा कि खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से आदमी का पेट भर सकता है तो बिना विचार ,घटना और पात्रों के नयी कहानी का लेखक मात्र अपनी इच्छा से कहानी क्यों नहीं लिख सकता है। लेखक ने नयी कहानी के लेखकों पर व्यंग किया है.

Answered by EthicalElite
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लेखक सोचने लगे कि खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से आदमी का पेट भर सकता है तो बिना विचार ,घटना और पात्रों के नयी कहानी का लेखक मात्र अपनी इच्छा से कहानी क्यों नहीं लिख सकता है। लेखक ने नयी कहानी के लेखकों पर व्यंग किया है।

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