Hindi, asked by selena49, 6 months ago

Write a anuched on the topic ' Prarthna la mahatva ' in hindi​

Answers

Answered by bhartigupta534
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Answer:

प्रार्थना से बड़ा बल, विश्वास, प्रेरणा, आशा और सही मार्गदर्शन मिलता है । ऐसा करने से विनाश होता है और मानवीय गुण जैसे दया, अहिंसा, ममता, परोपकार, सहनशीलता, सहयोग, सादगी, उच्च विचार आदि पैदा होते हैं, उनका विकास होता है । विपत्ति, निराशा और संकट के समय प्रार्थना से बड़ा बल, आत्मविश्वास और शांति मिलती हैं ।

Explanation:

\mathtt{\bf{\underline{\pink{Thank \: you \:}}}}

\mathtt{\bf{\underline{\blue{Hope \: it \: helps \: you\:}}}}

\mathtt{\bf{\underline{\purple{please \: mark \:me \: as \: brainliest\:dear ❤ \:}}}}

Answered by vishuddhi66
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प्रार्थना का अर्थ यह नहीं है कि आप कर्म छोड़कर मंदिर में बैठे आरती करते रहें , घंटी बजाते रहें और आपकी जगह भगवान परीक्षा भवन में जाकर परीक्षा दे आएंगे या आपके दूसरे कार्य संपन्न कर देंगे। प्रार्थना व्यक्ति को आंतरिक संबल प्रदान करती है , उसे कर्म की ओर उद्यत करने हेतु आंतरिक बल , उत्साह और आशा प्रदान करती है। प्रार्थना व्यक्ति के विचारों एवं इच्छाओं को सकारात्मक बनाकर निराशा एवं नकारात्मक भावों को नष्ट करती है। प्रार्थना करने से मनुष्य भाग्यवादी कभी नहीं बनता। यदि ऐसा होता तो सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करना बंद कर देते या सभी धर्म प्रार्थना के महत्व को नकार देते। कर्म का स्थान प्रार्थना नहीं ले सकती , प्रार्थना का स्थान कर्म नहीं ले सकता। 

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