Write a hindi moral story in 10-15 lines
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सच्चा मित्र
बहुत समय पहले, एक पेड़ पर तोते का एक जोड़ा रहता था। उसी पेड़ पर एक बिल में एक बूढ़ा साँप रहता था। साँप वहुत कमजोर हो चुका था। वह अपने लिए शिकार की तलाश करने तक नहीं जा पाता था।
तोते उसके दिल के पास कुछ खाना रख देते थे। साँप उन तोतों का बहुत आभार जताया करता था। एक दिन, एक गिद्ध उन तोतों का शिकार करने के लिए उस पेड़ पर मंडराने लगा।
तभी एक बहेलिया वहाँ आया। उसने तीर से एक तोते पर निशाना लगाया। जब सांप को यह पता चला कि उसके मित्र संकट में हैं, तो उसके बहेलिए के पैर में काट लिया।
साँप के काटने से बहेलिए का हाथ हिल गया और उसका निशाना चूक गया। बहेलिये का तीर सीधे में डर रहे गिद्ध को जा लगा। साँप ने अपने मित्रों की जान बनाकर साबित कर दिया कि वह सच्चा मित्र है।
Answer:
एक गांव में रामलाल नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह घर को रंगने का काम करता था। वह अपना काम बड़ी ईमानदारी और मेहनत से करता था। मेहनत करने के बाद भी बहुत कम कमा पाता था।
जिससे की उसकी केवल दो समय की रोटी का जुगाड़ ही होता था। वह ज्यादा काम करना चाहता था। एक दिन गांव के जमींदार ने रामलाल को बुलाया। रामलाल जमींदार के पास गया।
जमींदार ने कहा की मेरे पास एक नांव है तुमको उस पर रंग करना है और उसको रंग आज के दिन ही करना है। रामलाल ने जमींदार को बोला की वह रंग कर देगा। जमींदार ने रामलाल से रंग करने का रेट पूछा तो रामलाल ने बोला की वह रंग करने का 1500 रूपए लेगा इसके बाद जमींदार ने रामलाल को नदी के किनारे खड़ी नाव दिखा दी। रामलाल अपने घर से रंग लाकर बड़ी सफाई के साथ उसमे रंग करने लगा। वह जब रंग कर रहा था तो उसको नाव में एक छेद नज़र आया।
उसने सोचा यदि मै इसके ऊपर केवल रंग कर दूंगा तो यह नाव डूब जाएगी। इसलिए पहले उसने उस छेद को भरा फिर उस पर रंग किया। नाव के रंग का काम पूरा होने पर वह जमींदार को नाव दिखाने लाया।
जमींदार ने नाव को देखने के बाद पैसे अगले दिन देने की बात की। जिसके बाद रामलाल चला गया। अगले दिन जमींदारके बीवी बच्चे उस नाव में बैठकर नदी के पार घूमने के लिए चले गए।
शाम को जब जमींदार का नौकर लौटा तो उसने घर के बाकी सदस्यों को घर में न देखकर जमींदार से पूछा तो जमींदार ने बताया की वह नाव में बैठकर नदी के पार घूमने गए है। नौकर ने जमींदार को बताया की उस नाव में तो छेद था
जमींदार इस बात से बहुत परेशान हो गया। इसके कुछ देर के बाद ही जमींदार की बीवी और बच्चे घर सकुशल लौट आये। उनको पता चल चूका था की रामलाल ने नाव में रंग करते समय उस छेद को भर दिया।
इसके बाद जब रामलाल अपने पैसे लेने आया तो जमींदार ने उसको पैसे दिए। रामलाल ने गिने तो उसमे 6000 रूपए थे। रामलाल ने कहा आपने गलती से मुझे ज़्यादा रूपए दे दिए है।
रामलाल ने कहा की नहीं यह तुम्हारे काम का इनाम है जो तुमने किया है। तुमने नाव में रंग करते समय जो छेद भरा था। उसकी वजह से मेरे परिवार की जान बच गयी। रामलाल पैसे लेकर घर चला गया। वह बहुत खुश था।