write a letter hindi i am expecting. help
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लेखक का पता : जलदा,
राउरकेला
पत्र लिखने की तिथि : 20 जुलाई, 2019 अथवा 20-7-2019
अभिवादन या सम्बोधन : पूज्य पिताजी,
पत्र मुख्य अंश :
कृपा कर मुझे पांच सौ रुपये भेज दें. मुझे कॉलेज की फीस देनी है तथा कुछ पुस्तकें खरीदनी है. परीक्षायें नजदीक आ गई है और में उनकी तैयारी बड़ी मेहनत से कर रहा हूँ.
माताजी को प्रणाम.
पादाक्षर : आपका स्नेहभाजन
हस्ताक्षर : देबाशीष
पत्र पाने वाले का पता :
(पोस्ट-कार्ड अथवा लिफाफे पर)
डाक-टिकट श्री रमाकांत जेना
प्रिंसिपल, इस्पात ऑटोनोमस कॉलेज,राउरकेला (ओडिशा)
लिखने वाले का पता :
पता पहले पृष्ठ पर सबसे ऊपर दाहिनी ओर साफ अक्षरों में और पूरा होना चाहिए, क्यूंकि इसी पते पर पत्र का उत्तर आयेगा।
टिप्पणी :
प्रत्येक मद अलग लाइन में लिखनी चाहिए।
प्रत्येक लाइन एक-दूसरे के ठीक नीचे से शुरू होनी चाहिए।
प्रत्येक लाइन के बाद अर्द्ध-विराम (कोमा) लगाना चाहिए। अंतिम लाइन के बाद विराम लगाना चाहिए।
पत्र लिखने की तिथि :
लेखक के पते के ठीक नीचे तिथि लिखी जाती है। तिथि नीचे दी गई किसी एक विधि से लिखी जा सकती है :
3 मार्च, 2019
मार्च 3, 2019
3-3-2019 अथवा 3/3/19
अभिवादन अथवा सम्बोधन :
जिस व्यक्ति को आप पत्र लिख रहे हैं, उसको सम्बोधन करने के ढंग को अभिवादन या सम्बोधन कहते हैं। पत्र लिखने वाले और जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उनके बीच सम्बन्ध और प्रगाढ़ता पर यह निर्भर करता है। कागज के बाईं ओर चौड़ा हाशिया छोड़ने के बाद तिथि की लाइन से थोड़ा नीचे अभिवादन लिखा जाता है।
जैसे प्रिय राकेश, आदरणीय मामाजी, प्रियवर सुबोध आदि।
पत्र का मुख्य अंश :
यह पत्र का मुख्य भाग है। इसमें सारा सन्देश, जो आप देना चाहते है, लिखा जाता है। पत्र की विषय-वस्तु को ठीक से क्रमबद्ध करना चाहिए। प्रत्येक विषय या मुख्य बात नए पैराग्राफ में लिखी जानी चाहिए. प्रत्येक पैराग्राफ की पहली लाइन थोड़ा स्थान छोड़ कर प्रारम्भ करना चाहिए और हर पैराग्राफ में पहली लाइन की दुरी समान होनी चाहिए।
पादाक्षर :
पादाक्षर वह ढंग है, जिससे आप अपना पत्र समाप्त करते है। अभिवादन की ही भांति पादाक्षर भी संबन्धों की प्रगाढ़ता निर्भर करता है। अभिवादन और पादाक्षरों के विभिन्न प्रकार नीचे दिए जा रहे हैं :
सम्बन्ध अभिवादन पादाक्षर
रक्त सम्बन्ध, (बड़े) पूज्य या आदरणीय, पूज्य पिताजी अथवा माताजी आपका स्नेह स्नेहभाजन, आपका प्रिय पुत्र/पुत्री
रक्त सम्बन्ध, (छोटे) प्रिय प्रेम, प्रियवर कामनी, तुम्हारा स्नेह भाजर, तुम्हारा,
मित्र, प्रिय रतन आपका, सदैव आपका, आपका ही,
परिचित प्रिय श्री अथवा श्रीमती (नाम) आपका
अपरिचित या अजनबी महोदय,(या महोदया) अथवा प्रिय महोदय (या महोदया) आपका,
व्यापारिक महोदय भवदीय,
प्रतिष्ठान (फर्म) महोदय भवदीय,
प्रिंसिपल अथवा श्रीमान अध्यापक, प्रोफेसर आपका आज्ञाकारी, आपका आज्ञाकारी शिष्य
हस्ताक्षर :
जिस ढंग से आप हस्ताक्षर करते हैं, उससे उस व्यक्ति के प्रति आपकी प्रगाढ़ता स्पष्ट होती है, जिसे आप पत्र लिख रहे हैं।
साधारण तौर पर हस्ताक्षर के निम्नलिखित दो रूप हैं :
औपचारिक आशीष कुमार साहू
अनौपचारिक आशीष
पत्र पाने वाले का पता :
यह लिफाफे अथवा पोस्टकार्ड पर लिखा जाता है। यह बड़े साफ और स्पष्ट अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। हजारों ऐसे पत्र जिन पर पूरा पता नहीं होता अथवा लिखाई समझ में नहीं आती, प्रतिदिन पुनः प्रेषण केंद्रों में पहुंचते हैं। नीचे दी गई विधियों ढंगों पर ध्यान दीजिए :
श्री चंदनलाल मिश्र, एल.एल.बी.,
23, बाईपास रोड,
शाहदरा,
दिल्ली।
(यहाँ पिन कोड नंबर लिखें)
श्री भागवत राम,एम.ए.बी.टी.
प्रिंसिपल,
डी.ए.वी. सीनियर सेकेंडरी स्कूल,
गोरखपुर। (उत्तर प्रदेश)
(यहाँ पिन कोड नंबर लिखें)
कुछ महत्वपूर्ण नियम (Some important rules in Hindi)
विद्यार्थियों अपना पत्र लिखते समय नीचे दिए गए महत्वपूर्ण नियमों को ध्यान में रखना चाहिए :
स्वाभाविक ढंग से लिखिए मानों आप संबन्धित व्यक्ति से बातें कर रहे हों।
घिसे-पिटे वाक्यांशों के प्रयोग से बचिए।
पत्र लेखन के अवसर और पत्र लेखक तथा पत्र पाने वाले के बीच सम्बन्धों के अनुसार भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
बिना लम्बी-चौड़ी भूमिका बाँधे, सीधे काम की बात पर आ जाना चाहिए।
प्रत्येक पत्र का कोई-न-कोई उद्येश्य अवश्य होता है। ध्यान रखें कि वह उद्येश्य पूरा हो जाना चाहिए।
एक ही बात बार-बार न लिखें।
अपने पत्र के मुख्य अंश को क्रमबद्ध करें। प्रत्येक बात, जो आप लिखना चाहते हैं, अलग-अलग पैराग्राफ मैं लिखें।
साफ-साफ अक्षरों में लिखना न भूलें।
सरल भाषा में लिखें।
ये था हमारा लिख how to write a letter in Hindi. उम्मीद है ये पत्र लिखने के बारे में जानकारी आपके लिए मददगार साबित हुआ होगा। अगर आपको ये लिख पसंद आया है तो अपने सहयोगियों के साथ जरूर share करें।
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