write a para on jahaan chah hai wahin raah hai
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Jaha Chah hai wahin raah hai se meaning yeh he ki jiske man me chahat hoti hai uske liye vaha rashte apne aap ban jaya karte hai....
Chah ka matlab hai kuch karne yaa pane ki wish.....
Success ke liye Ruchi ( interest) hona chahiye tabhi aap apni manjil ko paa sakoge......
Sabhi ko apni ruchi ke anusar hi work karna chahiye because interest thing jeevan me bahut mahatv purn he , bina iske success ko pane ka sochna matlab chullu bar pani me doob jana .... I think aap samajh gaye honge.......
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Chah ka matlab hai kuch karne yaa pane ki wish.....
Success ke liye Ruchi ( interest) hona chahiye tabhi aap apni manjil ko paa sakoge......
Sabhi ko apni ruchi ke anusar hi work karna chahiye because interest thing jeevan me bahut mahatv purn he , bina iske success ko pane ka sochna matlab chullu bar pani me doob jana .... I think aap samajh gaye honge.......
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Anitaverma1972:
write a medium para on it not long not short
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जहाँ चाह वहाँ राह
→कहावत की भाव, चाह से तात्पर्य – ‘जहाँ चाह, वहाँ, राह’ एक कहावत है | इसका तात्पर्य है – जिसके मन में चाहत (इच्छा) होती है, उसके लिए वहाँ रास्ते अपने-आप बन जाया करते हैं | ‘चाह’ का अर्थ है – कुछ करने या पाने की तीव्र इच्छा |
सफलता के लिए कर्म के प्रति रूचि और समर्पण – सफलता पाने के लिए करम में रूचि होना अत्यंत आवश्यक है | जो लोग केवल इच्छा करते हैं किंतु उसके लिए कुछ करना नहीं चाहते, वे खयाली पुलाव पकाना चाहते हैं | उसका जीवन असफल होता है | सफल होने की लिए कर्म के प्रति पूरा समर्पण होना चाहिए | जयशंकर प्रसाद ने लिखा है –इच्छा क्यों पूरी हो मन की |
एक-दुसरे से न मिल सकें
यही विडंबना है जीवन की ||
कठिनाईयों के बीच मार्ग-निर्माण – कर्म के प्रति समर्पित लोग रास्ते की कठिनाईयों से नहीं घबराया करते |
HOPE THIS HELPS YOU A LOT......✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️
MARK AS BRAINLIEST…!
→कहावत की भाव, चाह से तात्पर्य – ‘जहाँ चाह, वहाँ, राह’ एक कहावत है | इसका तात्पर्य है – जिसके मन में चाहत (इच्छा) होती है, उसके लिए वहाँ रास्ते अपने-आप बन जाया करते हैं | ‘चाह’ का अर्थ है – कुछ करने या पाने की तीव्र इच्छा |
सफलता के लिए कर्म के प्रति रूचि और समर्पण – सफलता पाने के लिए करम में रूचि होना अत्यंत आवश्यक है | जो लोग केवल इच्छा करते हैं किंतु उसके लिए कुछ करना नहीं चाहते, वे खयाली पुलाव पकाना चाहते हैं | उसका जीवन असफल होता है | सफल होने की लिए कर्म के प्रति पूरा समर्पण होना चाहिए | जयशंकर प्रसाद ने लिखा है –इच्छा क्यों पूरी हो मन की |
एक-दुसरे से न मिल सकें
यही विडंबना है जीवन की ||
कठिनाईयों के बीच मार्ग-निर्माण – कर्म के प्रति समर्पित लोग रास्ते की कठिनाईयों से नहीं घबराया करते |
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