write a paragraph in Hindi on क्षमा : एक साहसिक कदम
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मानव जीवन में क्षमा का क्या महत्व है ? सभ्य समाज में क्षमायाचना और क्षमादान का विशेष महत्व है। क्षमायाचना और क्षमादान चाहे दो आत्मीय जनों के बीच हो अथवा समूहों या राष्ट्रों के बीच , यदि ईमानदारी के साथ क्षमायाचना की जाती है , तो यह अपमान की भावना का निराकरण करती है। क्षमा में बहुत बड़ी शक्ति होती है। क्षमाशीलता का भारी महत्व है , पर हम इसके बारे में बहुत कम ध्यान देते हैं। अपने बच्चों में क्षमाशीलता की भावना पैदा करने का हम कोई उपाय नहीं करते। क्या कारण है कि ज्यादातर लोग क्षमाशीलता को अपनाना नहीं चाहते ? असल में , हममें से बहुत से लोग हमेशा जीतते रहने , सफलता प्राप्त करने और हर काम को चुस्त-दुरुस्त ढंग से करने की भावना से इतना ओतप्रोत रहते हैं कि क्षमाशीलता के महत्व को समझ ही नहीं पाते। उस ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। क्षमायाचना करने के लिए हममें अपनी गलती , असफलता और कमजोरी को स्वीकार करने की क्षमता होनी जरूरी है। पर निरंतर जीत के लिए हम इतने आतुर होते हैं कि अपनी गलतियों और कमजोरियों को स्वीकार करने की हमें फुरसत ही नहीं मिलती। क्षमायाचना कितनी असरकारी है ? ईमानदारी से मांगी गई क्षमायाचना वांछित प्रभाव डालती है। इसके बरक्स बेमन से , लागलपेट के साथ की गई क्षमायाचना के गंभीर दुष्परिणाम होते हैं। इसी तरह कूटनीतिक-भावना के साथ की गई क्षमायाचना संबंधों को सदा-सदा के लिए खराब कर सकती है। लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर दूसरों का अपमान करते हैं। खुद भी कई बार अपमानित होते हैं। क्षमाशीलता के अभाव में शिकवे- शिकायतों को जिंदगी भर ढोते हैं। यदि कोई उनसे ईमानदारी के साथ क्षमायाचना कर ले या फिर वे खुद ही ईमानदारी से क्षमा मांग लें , तो व्यर्थ के मानसिक तनाव से बच सकते हैं। इस तरह क्षमाशीलता तनाव जैसे रोगों का निदान भी कर सकती है। हमारे जीवन में क्षमा का क्या स्थान है ? क्षमायाचना की सबसे अधिक आवश्यकता व्यक्तिगत जीवन में ही पड़ती है। जब हम किसी व्यक्ति की अकेले में या सार्वजनिक रूप से जाने- अनजाने उपेक्षा करते हैं , उसे अपमानित करते हैं या उसे छोटा अथवा हीन साबित करते हैं , तो इस प्रकार हम उसके अहम को ठेस पहुंचाते हैं। हर व्यक्ति अपने विषय में एक धारणा बनाकर जीवन जीता है। उसकी अपनी विचारधारा होती है। स्वयं के व्यक्तित्व का वह एक रूप तय कर लेता है। लोग उसे कैसे देखें , उसके बारे में लोगों की धारणा क्या हो , यह भी वह मन ही मन तय कर लेता है। व्यक्ति के लिए यह स्व-धारणा बहुत महत्वपूर्ण , बहुत प्रिय होती है। इस पर वह जरा-सा भी कटाक्ष बर्दाश्त नहीं कर पाता है , जबकि जीवन में कदम-कदम पर स्व- धारणा को ठेस लगाने वाली स्थितियां जाने-अनजाने बन ही जाती हैं। किसी समारोह में या समूह में , किसी चर्चा के दौरान किसी न किसी की स्व-धारणा के आहत होने की पूरी आशंका बनी रहती है। उपेक्षा अनुभव करना , सही व्यवहार नहीं हुआ , अन्याय किया गया आदि विचारों को जन्म देने वाले कारण स्व- धारणा को आहत करते हैं। जब स्व- धारणा आहत होती है , तो व्यक्ति उम्मीद करता है कि उस पर फिकरे कसने वाला व्यक्ति क्षमा मांगकर अपनी गलती सुधारे। यदि तत्काल क्षमा मांग ली गई , तो उसे सुकून मिलता है और वह उस घटना को भुलाना ठीक समझता है। वह प्रक्रिया क्या है , जिससे क्षमायाचना का सही प्रभाव होता है ? क्षमायाचना की प्रक्रिया में आहत करने वाले और आहत होने वाले के बीच ' शर्म ' और ' शक्ति ' का आदान- प्रदान होता है। हम क्षमायाचना कर अपने व्यवहार की ' शर्म ' को दूर कर स्थितियों को अपनी तरफ मोड़ लेते हैं। हम स्वीकार करते हैं कि हमने किसी के अहम को ठेस पहुंचाई है , उसे नीचा दिखाया है और क्षमायाचना करके हम यह बताना चाहते हैं कि वास्तव में ' गलती मेरी थी ' या ' मूर्खता मेरी थी ' । इसलिए छोटा तो मैं हूं , आप नहीं। हमारा यह व्यवहार आहत महसूस करने वाले व्यक्ति को क्षमाशीलता की शक्ति प्रदान करता है। यही क्षमायाचना में ' शर्म ' और ' शक्ति ' का आदान-प्रदान है। क्या क्षमायाचना के सही व गलत तरीके भी होते हैं ? यदि सही ढंग से क्षमा नहीं मांगी गई तो वह प्रभावहीन हो जाती है। सही क्षमायाचना तब होती है , जब हम स्पष्ट शब्दों में अपनी गलती को रेखांकित कर क्षमा मांग लेते हैं। सही क्षमायाचना का एक और तत्व है। वह यह है कि हम स्पष्ट कर देते हैं कि किन कारणों से , किन परिस्थितियों में हमसे यह व्यवहार हुआ। हमारी क्षमायाचना से यह जाहिर हो जाना चाहिए कि वास्तव में हम अपने व्यवहार पर दुखी हैं। यह व्यवहार कटुता दूर करके संबंधों को तत्काल सामान्य बना देता है। क्या क्षमा मांगना कमजोरी का प्रतीक नहीं है ? लोग क्षमायाचना को दुर्बलता का पर्याय समझ लेते हैं। जबकि क्षमायाचना ' शक्ति ' का प्रतीक होती है। यह ईमानदारी की भी परिचायक है। क्षमायाचना के लिए चारित्रिक दृढ़ता भी जरूरी है। क्षमा मांगकर हालांकि हम अपनी दुर्बलता जाहिर करते हैं , पर साथ ही यह भी स्पष्ट करते हैं कि ' कुछ भी हो , मैं एक अच्छा आदमी हूं , दिल का बुरा नहीं।
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Explanation:मानव जीवन में क्षमा का क्या महत्व है ? सभ्य समाज में क्षमायाचना और क्षमादान का विशेष महत्व है। क्षमायाचना और क्षमादान चाहे दो आत्मीय जनों के बीच हो अथवा समूहों या राष्ट्रों के बीच , यदि ईमानदारी के साथ क्षमायाचना की जाती है , तो यह अपमान की भावना का निराकरण करती है। क्षमा में बहुत बड़ी शक्ति होती है। क्षमाशीलता का भारी महत्व है , पर हम इसके बारे में बहुत कम ध्यान देते हैं। अपने बच्चों में क्षमाशीलता की भावना पैदा करने का हम कोई उपाय नहीं करते। क्या कारण है कि ज्यादातर लोग क्षमाशीलता को अपनाना नहीं चाहते ? असल में , हममें से बहुत से लोग हमेशा जीतते रहने , सफलता प्राप्त करने और हर काम को चुस्त-दुरुस्त ढंग से करने की भावना से इतना ओतप्रोत रहते हैं कि क्षमाशीलता के महत्व को समझ ही नहीं पाते। उस ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। क्षमायाचना करने के लिए हममें अपनी गलती , असफलता और कमजोरी को स्वीकार करने की क्षमता होनी जरूरी है। पर निरंतर जीत के लिए हम इतने आतुर होते हैं कि अपनी गलतियों और कमजोरियों को स्वीकार करने की हमें फुरसत ही नहीं मिलती। क्षमायाचना कितनी असरकारी है ? ईमानदारी से मांगी गई क्षमायाचना वांछित प्रभाव डालती है। इसके बरक्स बेमन से , लागलपेट के साथ की गई क्षमायाचना के गंभीर दुष्परिणाम होते हैं। इसी तरह कूटनीतिक-भावना के साथ की गई क्षमायाचना संबंधों को सदा-सदा के लिए खराब कर सकती है। लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर दूसरों का अपमान करते हैं। खुद भी कई बार अपमानित होते हैं। क्षमाशीलता के अभाव में शिकवे- शिकायतों को जिंदगी भर ढोते हैं। यदि कोई उनसे ईमानदारी के साथ क्षमायाचना कर ले या फिर वे खुद ही ईमानदारी से क्षमा मांग लें , तो व्यर्थ के मानसिक तनाव से बच सकते हैं। इस तरह क्षमाशीलता तनाव जैसे रोगों का निदान भी कर सकती है। हमारे जीवन में क्षमा का क्या स्थान है ? क्षमायाचना की सबसे अधिक आवश्यकता व्यक्तिगत जीवन में ही पड़ती है। जब हम किसी व्यक्ति की अकेले में या सार्वजनिक रूप से जाने- अनजाने उपेक्षा करते हैं , उसे अपमानित करते हैं या उसे छोटा अथवा हीन साबित करते हैं , तो इस प्रकार हम उसके अहम को ठेस पहुंचाते हैं। हर व्यक्ति अपने विषय में एक धारणा बनाकर जीवन जीता है। उसकी अपनी विचारधारा होती है। स्वयं के व्यक्तित्व का वह एक रूप तय कर लेता है। लोग उसे कैसे देखें , उसके बारे में लोगों की धारणा क्या हो , यह भी वह मन ही मन तय कर लेता है। व्यक्ति के लिए यह स्व-धारणा बहुत महत्वपूर्ण , बहुत प्रिय होती है। इस पर वह जरा-सा भी कटाक्ष बर्दाश्त नहीं कर पाता है , जबकि जीवन में कदम-कदम पर स्व- धारणा को ठेस लगाने वाली स्थितियां जाने-अनजाने बन ही जाती हैं। किसी समारोह में या समूह में , किसी चर्चा के दौरान किसी न किसी की स्व-धारणा के आहत होने की पूरी आशंका बनी रहती है। उपेक्षा अनुभव करना , सही व्यवहार नहीं हुआ , अन्याय किया गया आदि विचारों को जन्म देने वाले कारण स्व- धारणा को आहत करते हैं। जब स्व- धारणा आहत होती है , तो व्यक्ति उम्मीद करता है कि उस पर फिकरे कसने वाला व्यक्ति क्षमा मांगकर अपनी गलती सुधारे। यदि तत्काल क्षमा मांग ली गई , तो उसे सुकून मिलता है और वह उस घटना को भुलाना ठीक समझता है। वह प्रक्रिया क्या है , जिससे क्षमायाचना का सही प्रभाव होता है ? क्षमायाचना की प्रक्रिया में आहत करने वाले और आहत होने वाले के बीच ' शर्म ' और ' शक्ति ' का आदान- प्रदान होता है। हम क्षमायाचना कर अपने व्यवहार की ' शर्म ' को दूर कर स्थितियों को अपनी तरफ मोड़ लेते हैं। हम स्वीकार करते हैं कि हमने किसी के अहम को ठेस पहुंचाई है , उसे नीचा दिखाया है और क्षमायाचना करके हम यह बताना चाहते हैं कि वास्तव में ' गलती मेरी थी ' या ' मूर्खता मेरी थी ' । इसलिए छोटा तो मैं हूं , आप नहीं। हमारा यह व्यवहार आहत महसूस करने वाले व्यक्ति को क्षमाशीलता की शक्ति प्रदान करता है। यही क्षमायाचना में ' शर्म ' और ' शक्ति ' का आदान-प्रदान है। क्या क्षमायाचना के सही व गलत तरीके भी होते हैं ? यदि सही ढंग से क्षमा नहीं मांगी गई तो वह प्रभावहीन हो जाती है। सही क्षमायाचना तब होती है , जब हम स्पष्ट शब्दों में अपनी गलती को रेखांकित कर क्षमा मांग लेते हैं। सही क्षमायाचना का एक और तत्व है। वह यह है कि हम स्पष्ट कर देते हैं कि किन कारणों से , किन परिस्थितियों में हमसे यह व्यवहार हुआ। हमारी क्षमायाचना से यह जाहिर हो जाना चाहिए कि वास्तव में हम अपने व्यवहार पर दुखी हैं। यह व्यवहार कटुता दूर करके संबंधों को तत्काल सामान्य बना देता है। क्या क्षमा मांगना कमजोरी का प्रतीक नहीं है ? लोग क्षमायाचना को दुर्बलता का पर्याय समझ लेते हैं। जबकि क्षमायाचना ' शक्ति ' का प्रतीक होती है। यह ईमानदारी की भी परिचायक है। क्षमायाचना के लिए चारित्रिक दृढ़ता भी जरूरी है। क्षमा मांगकर हालांकि हम अपनी दुर्बलता जाहिर करते हैं , पर साथ ही यह भी स्पष्ट करते हैं कि ' कुछ भी हो , मैं एक अच्छा आदमी हूं , दिल का बुरा नही