India Languages, asked by mhemangi1245, 11 months ago

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Answered by Anonymous
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पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है – परि+आवरण। परि का अर्थ “चारो और” है जबकि आवरण का अर्थ “ढ़का हुआ” है। इसका शाब्दिक अर्थ हुआ कि वह वातावरण जिससे जीव जंतु चारो और से ढके हुए है, पर्यावरण कहलाता है। इस दुनिया में सभी जैविक और अजैविक तत्व पर्यावरण में आते है।M

Answered by Arinkishore
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पर्यावरण

सभी प्रकार के प्राकृतिक तत्व जो जीवन को सम्भव बनाते हैं वह पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग, जंगल, जानवर, पेड़ इत्यादि। ऐसा माना जाता है की पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है तथा जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण है।

पर्यावरण प्रदुषण का हमारे जीवन पर प्रभाव

पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती तथा हमें भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। यह पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। हर व्यक्ति सामने आये तथा पर्यावरण संरक्षण के मुहिम का हिस्सा बने।

पृथ्वी पर विभिन्न चक्र है जो नियमित तौर पर पर्यावरण और जीवित चीजों के मध्य घटित होकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं। जैसे ही यह चक्र विक्षुब्ध (Disturb) होता है पर्यावरण संतुलन भी उससे विक्षुब्ध होता है जो निश्चित रूप से मानव जीवन को प्रभावित करता है। हमारा पर्यावरण हमें पृथ्वी पर हजारों वर्ष तक पनपने तथा विकसित होने में मदद करता है, वैसे ही जैसे की मनुष्य को प्रकृति द्वारा बनाया गया पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उन में ब्रम्हांड के तथ्यों को जानने की बहुत उत्सुकता होती है जो की उन्हें तकनीकी उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

हम सभी के जीवन में इस तरह की तकनीक प्रगति हुई है, जो दिन प्रतिदिन जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रहीं हैं तथा पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं। जिस तरह से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दुषित हो रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह एक दिन हमें बहुत हानि पहुंच सकता है। यहाँ तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर, पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू भी कर दिया है। कृत्रिम रूप से तैयार खाद तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता को नष्ट करता है, तथा हम जो रोज खाना खाते है उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है। औद्योगिक कम्पनीयों से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारे प्राकृतिक हवा को दुषित करती हैं जिससे हमारा स्वास्थय प्रभावित होता है, क्योंकि हमेशा हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।

प्रदुषण में वृद्धि, प्राकृतिक स्त्रोत में तेजी से कमी का मुख्य कारण है, इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों को नुकसान हुआ है बल्की उन्होंने ईको सिस्टम को भी बाधित किया है। आधुनिक जीवन के इस व्यस्तता में हमें कुछ बुरे आदतों पर ध्यान देना आवश्यक है जो हम दैनिक जीवन में करते हैं।

यह सत्य है की हमारे नष्ट होते पर्यावरण के लिए हमारे द्वारा किया गया छोटा प्रयास बड़ा सकारात्मक बदलाव कर सकता है। हमें अपने स्वार्थ की पूर्ति तथा विनाशकारी कामनाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करना चाहिए पर हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह भविष्य में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुचाएं।

निष्कर्ष

आधुनिक तकनीक परिस्थिकिय संतुलन को भविष्य में कभी विक्षुब्ध न करें हमें इस बात का खयाल रखना चाहिए। समय आ चुका है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय बंद करें और उनका विवेकपूर्ण तरह से उपयोग करें।

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