write a paragraph on suniye sab ki kariye man ki in hindi
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहते हुए कई बार हमें किसी की सलाह की जरुरत पड़ ही जाती हैं, ऐसी स्थिती में हम अपने आस पास के लोगों से सलाह लेते है कि हमे क्या करना चाहिये, कई बार उनकी राय हमें सही रास्ता दिखाती है तो कभी हमारे नुक्सान का सबब भी बन जाती है! ऐसी स्थिती में हमें अपने विवेक और धैर्य से यह सोचना चाहिए की हमारे लिए क्या उचित हैं अर्थात “सुनो सबकी करो मन की” ही सही मंत्र हैं। अगर हम सब की सुनकर काम करने लग जायेगे तो वह कभी भी सफल नहीं होगा क्युकी हर विषय पर सबकी अपनी राय और सुझाव होता हैं इसलिए यह हमें ही तय करना होगा की हमारे लिए क्या सही हैं.
एक समय की बात हैं दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर पड़े। बाकी मेंढकों ने उन को गड्ढे से बाहर निकालने का बहुत प्रयास किया पर निकाल ना पाये। साथियों ने गड्ढे में गिरे मेंढकों से कहा की हम तुम्हे बाहर नहीं निकल पा रहे इसलिए अब तुम खुद को मरा हुआ मानो। परन्तु मेंढकों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया और बाहर निकलने के लिए कूदने लगे। बाहर खड़े मेंढक उनसे यही कहते रहे कि बाहर निकलने की कोशिश करना बेकार है। अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। थोड़ी देर प्रयत्न करने के बाद भी जब मेंढक गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने आस छोड़ दी और मर गया। परन्तु दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और कुछ देर प्रयास करने के बाद वह बाहर आ गया। जैसे ही वह बाहर आया तो बाकी मेंढक साथियों ने उससे पूछा- जब हम तुम्हें कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है तो भी तुम छलाँग मारते रहे, क्यों ? मेंढक ने जवाब दिया- दरअसल मैं थोड़ा ऊँचा सुनता हूँ और मुझे लगा तुम सब मेरा हौसला बढ़ा रहे हों इसलिए मैंने कोशिश जारी रखी और बाहर आ गया।
अगर वह मेंढक अपने बाकी साथियों की बात सुनकर कोशिश छोड़ देता तो कभी भी बाहर नहीं आ पाता और अपने साथी मेंढक की तरह प्राण गवा देता. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं की जब हमें अपने आप पर भरोसा हो तो दूसरे क्या कह रहे हैं इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए।