write a poem on कुदरत के बदलते in hindi
pls write a poem in hindi about 80 words
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Answer:
इंसान ही इंसान के साए से डर रहा है
यह कैसा वक्त चल रहा है
चारों ओर मौत का साया है
karmo का लेखा-जोखा अब सामने आया है
दंभ भरता था जैसे shrishti को मैंने ही बनाया है
कुदरत के एक ही झटके ने तोड़ दिया मनुष्य का अहम
जो जी रहा था मैं ही हूँ sarvsreshtra के लिए वहम
समय समय पर पकृति अपना उपचार स्वयं ही करती हैं
अपसनी सारी पीड़ा वह सवमं ही हरती है
दिखा दी है मनुष्य को उसने अपनी औकात
बता दी है पकृति है उसे इश्वर pradat एक सौगात
अभी तो केवल उसने हमें चेताया है
कोरोना रूपी दूत हमें भेज हमें डराया है
ना कर कुदरत से छेड़छाड यह हमें समझाया है
जब जब करेंगे हम पकृति को नष्ट
भुगतने ही होंगे हम ठेर सारे कष्ट
जीव-जंतुओं कोभी है धरती पर रहने का हक
तु इसे केवल अपनी ना समझ
आज फिर कुदरत ने अटृहास लगाया है
मनुष्य सवमं ही अपनी हालत का
जिम्मेदार यह बतलाया है।