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aapke school mein khel divas mnaya ja ra hai... 150-200 words
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hi frnd,
राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को हॉकी के महान् खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती के दिन मनाया जाता है। दुनिया भर में 'हॉकी के जादूगर' के नाम से प्रसिद्ध भारत के महान् व कालजयी हॉकी खिलाड़ी 'मेजर ध्यानचंद सिंह' जिन्होंने भारत को ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलवाया, उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके जन्मदिन 29 अगस्त को हर वर्ष भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कार्यक्रमइसी दिन उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति खेलों में विशेष योगदान देने के लिए राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं, जिसमें राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कारों के अलावा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार प्रमुख हैं। इस अवसर पर खिलाड़ियों के साथ-साथ उनकी प्रतिभा निखारने वाले कोचों को भी सम्मानित किया जाता है। इसके अतिरिक्त् लगभग सभी भारतीय स्कूल और शिक्षण संस्थान 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के दिन अपना सालाना खेल समारोह आयोजित करते हैं। पंजाब और चंडीगढ़ में यह दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
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हमारे स्कूल के संस्थापक लाला केदारनाथ का जन्म 15 दिसम्बर को पड़ता है । यही दिन हमारे रकूल के वार्षिक खेलकूद के लिए रखा गया है । हर वर्ष विद्यार्थी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं । इस दिन हमे बड़ा आनन्द मिलता है । साल दिन बड़े हर्षोल्लास से बीतता है ।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस दिन के लिए बड़ा रोचक कार्यक्रम बनाया गया । प्रिंसिपल ने विद्यार्थियों के माता-पिताओं को भी आमन्त्रित किया । वरिष्ठ पी टी अध्यापक को सारे काम का उत्तरदायित्व सौंपा गया । खेलकूद ठीक दस बजे शुरू हो गए ।
सबसे पहले प्रत्येक खेलकूद में भाग लेने वाले सभी खिलाडियों ने एक मार्च-पास्ट का आयोजन किया । प्रिसिपल ने सलामी ली । इसके बाद खेलकूद शुरू हो गए ।
कार्यक्रम में सबसे पहले दौडों का आयोजन किया गया । यह दौडे 100 मीटर, 400 मीटर, 800 मीटर तथा 5 किलोमीटर की थीं । 5 किलोमीटर की दौड में बड़ा मजा आया । इस दौड में हरी नाम के एक मोटे लड़के ने भी भाग लिया ।
उसे दौड़ते देखकर बड़ा मजा आ रहा था । सभी लड़के बराबर हस रहे थे और खुश होकर तालियां पीट रहे थे । जब अन्य खिलाड़ी दो चक्कर पूरे कर चुके थे, तब तक हरी मुश्किल से आधा चक्कर ही पूरा कर पाया था । लेकिन फिर भी वह बराबर दौड़ता रहा । बाधा दौड़ भी बड़ी आकर्षक रही । इस दौड़ में लड़कों के पीछे से हाथ बांध दिये गए ।
उन्हे ऊपर रस्सी मै बधे फलो को उछल कर मुंह से लपकना पड़ता था । लोगों को उछलते, गिरते और सफल तथा असफल होते देख हम सभी हंसी से लोट-पोट हो गए । इसके अलावा आलू दौड़, चम्मच दौड़, बोरा दौड़, तीन टाग की दौड़, आदि आयौजन भी बड़े आनन्ददायक रहे ।
इसके बाद धीमी साइकिल दौड हुई । बहुत-से लड़कों ने इसमें भाग लिया ! मेरे मित्र रवि ने यह दौड़ बड़ी आसानी से जीत ली । दूसरा आइटम ने ज साइकिल दौड़ का था । इस दौड़ फासला 3 किलोमीटर रखा गया था । लगभग 20 साइकिल सवारों ने इसमें भाग लिया । वे बड़ी तेजी से होकर पास से निकल गए । यह दौड़ उमाशंकर ने जीती ।
दौडों के बाद कूदों का नम्बर आया । इनमें लाग जम्प, हाई जम्प, और ट्रिपल जम्प रखे गये थे । यह सभी कूदें भी बड़ी रुचिकर रहीं ।
इसके बाद कुछ ऐसे खेलकूद रखे गए, जिनमें शक्तिशाली और स्वस्थ बालक ही भाग ले सकते थे । जैसे शॉट-फुट, ढिस्क्स थ्रो, और हैमर थ्रो । मैंने इनमें से किसी आइटम में भाग नहीं लिया, क्योंकि मुझे इनमें कोई रुचि नहीं है ।
अब एक अन्य रोचक आइटम प्रारम्भ हुआ । यह भार उठाने की प्रतियोगिता थी । पिछले वर्ष अरुण ने इस खेल की जूनियर चैम्पियनशिप जीती थी । हम उसके काम को देखना चाहते थे । वह जब मैदान में उतरा तो जोरदोर तालियों से उसका स्वागत हुआ । उसका शरीर बड़ा सुदृढ़ और माँसल था । उसने बड़ी आसानी से भार को उठाकर प्रतियोगिता जीत ली । उसकी सभी ने प्रशंसा की ।
कार्यक्रम का अन्तिम आइटम अध्यापकों की दौड़ था जिसकी प्रतीक्षा हम बड़ी बेसब्री से कर रहे थे । सभी अध्यापकों ने इसमें भाग लिया । यह दौड़ हमारे ड्रांइग टीचर श्री के.सी सिंघल ने जीती l
खेलों की समाप्ति के बाद पुरस्कार वितरित किए गए । अरुण को स्कूल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया । ड्रांइग टीचर को इनाम में एक छोटी-सी गुड़िया दी गई, जिसे देख कर सभी खूब हसे । इसके बाद सभी विद्यार्थियों को मिठाई बीटी गई । मिठाई लिए हुए हम सब इसी-खुशी घर लौट पड़े ।
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