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जंगल में एक पुराना बरगद था। इस बरगद पर चिल्लू उल्लू का घर था। पेड़ के नीचे झनकू हाथी रहता था। दोनों के बीच इसी कारण से अच्छी दोस्ती हो गई थी। झनकू दिनभर जंगल में उधम करता। गन्ने खाता और सूँड भर-भर नहाता। चिल्लू भी दिनभर सोता। रात को जब झनकू हाथी पेड़ के नीचे लौटता तो इन दोनों दोस्तों के बीच अच्छी बातचीत होती।
एक शाम झनकू हाथी घूमता-घामता आ रहा था कि एक जगह उसे कुछ भूत गपशप करते हुए दिखाई दिए। वे लोगों को डराने के लिए डरावनी योजनाएँ बना रहे थे। तभी भूतों के सरदार की नजर झनकू हाथी पर पड़ी। वह चिल्लाया- वह रहा..! वह रहा..! पकड़ो उसे।
कुछ भूत झनकू को पकड़ने दौड़े और कुछ ने पूछा- यह कौन है सरदार?
सरदार बोला- गई रात मैंने एक सपना देखा कि मैंने एक हाथी को पूरा खा लिया। यह हाथी बिलकुल मेरे सपने के हाथी से मिलता-जुलता है। आज मुझे यकीन हो गया कि सपने सच्चे होते हैं और आज मैं अपने सपने की बात को पूरा करूँगा।
भूतों ने हाथी को पकड़ लिया। झनकू हाथी का पाला भूतों से पहली बार पड़ा था इसलिए वह बहुत डर गया और कुछ नहीं कह पाया। हाथी ने जब देखा कि भूतों का सरदार और उसकी पत्नी उसे खाने के लिए उसकी तरफ आ रहे हैं तो उसके हाथ-पैर धूजने लगे।
तभी हाथी का मित्र चिल्लू चिल्लाता हुआ आ पहुँचा- यही है... यही है...। अरे बिलकुल यही है...और आकर अपने मित्र हाथी के सिर पर बैठ गया। चिल्लू की चेतावनी सुनकर भूतों का सरदार ठिठक गया। सरदार ने पूछा - अरे, उल्लू तुम किसके बारे में कह रहे हो और क्या कहना चाहते हो?
उल्लू बोला - मैं भूतों की रानी के बारे में कह रहा हूँ। कल रात मैंने सपने में देखा कि एक भूतों की रानी से मेरी शादी हो गई और आपकी यह रानी मेरे सपनों की रानी से बिल्कुल मिलती-जुलती है, इसलिए अब मैं इससे विवाह करके अपने सपने को पूरा करूँगा।
भूतों की रानी ने जैसे ही यह सुना - वह जोर से चिल्लाई, मैं किसी उल्लू से शादी नहीं करूँगी। भूतों का सरदार - घबराओ मत। रानी यह तो उल्लू है और उल्लूओं जैसी बात करता है। सपने भी कहीं सच होते हैं। देखो मैंने सपने में देखा था कि मैंने एक हाथी को खा लिया था, पर अब मैं इसे जाने दे रहा हूँ।
इतना सुनना था कि झनकू हाथी भाग निकला और फिर चिल्लू ने भूतों के सरदार से कहा कि - 'चलो, तुम्हारा सपना सच नहीं है, इसका मतलब कि मेरा भी सपना सच नहीं है। ऐसे सपने को भूल जाना ही अच्छा है। सरदार - तुम दिखते उल्लू हो पर बातें तो समझदारी की करते हो।
उल्लू - ठीक है तो मैं चलता हूँ।
बिल्लू उड़कर बरगद के नीचे पहुँचा। यहाँ पहुँचकर चिल्लू खूब हँसा। आखिर आज उन्होंने भूतों को बेवकूफ जो बना दिया था। हाथी ने जान बचाने के लिए अपने मित्र का शुक्रिया किया। इस पर चिल्लू बोला - मित्रता में शुक्रिया की जरूरत नहीं होती मेरे दोस्त। हाथी बोला - तुम मेरे सच्चे साथी हो। उल्लू इस पर
मुस्कुराया भर।