write a speech on independence day in hindi language .
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आदरणीय प्रधानाचार्यजी, सभी अध्यापकगण और मेरे प्यारे मित्रों, आज हम सब यहाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं.
आजादी कहें या स्वतंत्रता ये ऐसा शब्द है जिसमें पूरा आसमान समाया है.
आजादी एक स्वाभाविक भाव है यदि बीज को भी धरती में दबा दें तो वो धूप तथा हवा की चाहत में धरती से बाहर आ जाता है क्योंकि स्वतंत्रता ही जीवन है| स्वतंत्रता के बिना जीवन का कोई अस्तित्व ही नही!
व्यक्ति को पराधीनता में चाहे कितना भी सुख प्राप्त हो किन्तु उसे वो आनन्द नही मिलता जो स्वतंत्रता में कष्ट उठाने पर भी मिल जाता है| तभी तो कहा गया है कि पराधीन सहनेहूँ सुख नहीं.
सदियों से भारत अंग्रेजों की दासता मन था, उनके अत्याचार से जन-जन त्रस्त था| खुली फिजा में साँस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा किन्तु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधन से मुक्त नही हो सके.
वास्तव में आजादी का संघर्ष तक अधिक हो गया जब बाल गंगाधर तिलक ने कहा कि “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है”.
अनेक क्रातिकारियों और देशभक्तों के प्रयास तथा बलिदान से आजादी की गोरव गाथा लिखी गई है.
जिस देश में चंद्रशेखर, भगत सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारी तथा गाँधी, तिलक, पटेल, जवाहरलाल नेहरु जैसे देशभक्त मोजूद हों उस देश को गुलाम कोन रख सकता था.
आखिर देशभक्तों के महत्पूर्ण योगदान से 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की दासता एवं अत्याचार से हमें आजादी प्राप्त हुई थी.
ये आजादी अमूल्य है क्योंकि इस आजादी में हमारे असंख्य भाई-बंधुओ का संघर्ष, त्याग तथा बलिदान समाहित है.
ये आजादी हमें उपहार में नही मिली है| वंदे मातरम् और इंकलाब जिंदाबाद की गर्जना करते हुए अनेक वीर देशभक्त फांसी पर झूल गए.
13 अप्रैल 1919 को जलियाँवालाहत्याकांड, वो रक्त रंजित भूमि आज भी देश-भक्त नर-नारियों के बलिदान की गवाही दे रही है.आज हम जिस खुली फिजा में साँस ले रहे हैं वो हमारे पूर्वजों के बलिदान और त्याग का परिणाम है.
हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि मुश्किलों से मिली आजादी की रूह को समझें .
आजादी के दिन तिरंगे के रंगो का अनोखा अनुभव महसूस करें इस पर्व को भी आजाद भारत के जन्मदिवस के रूप में पूरे दिल से उत्साह के साथ मनाएँ.
स्वतंत्रता का मतलब केवल सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता ही नही है इस स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते हमे अपने आप से ये वादा करना है कि हम अपने देश को विकास की ऊँचाइयों तक ले जायेंगे और भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाएगे ताकि हमारे देशभक्तों और शहीदों का बलिदान व्यर्थ ना जाए!
.thankuuuu
आजादी कहें या स्वतंत्रता ये ऐसा शब्द है जिसमें पूरा आसमान समाया है.
आजादी एक स्वाभाविक भाव है यदि बीज को भी धरती में दबा दें तो वो धूप तथा हवा की चाहत में धरती से बाहर आ जाता है क्योंकि स्वतंत्रता ही जीवन है| स्वतंत्रता के बिना जीवन का कोई अस्तित्व ही नही!
व्यक्ति को पराधीनता में चाहे कितना भी सुख प्राप्त हो किन्तु उसे वो आनन्द नही मिलता जो स्वतंत्रता में कष्ट उठाने पर भी मिल जाता है| तभी तो कहा गया है कि पराधीन सहनेहूँ सुख नहीं.
सदियों से भारत अंग्रेजों की दासता मन था, उनके अत्याचार से जन-जन त्रस्त था| खुली फिजा में साँस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा किन्तु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधन से मुक्त नही हो सके.
वास्तव में आजादी का संघर्ष तक अधिक हो गया जब बाल गंगाधर तिलक ने कहा कि “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है”.
अनेक क्रातिकारियों और देशभक्तों के प्रयास तथा बलिदान से आजादी की गोरव गाथा लिखी गई है.
जिस देश में चंद्रशेखर, भगत सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारी तथा गाँधी, तिलक, पटेल, जवाहरलाल नेहरु जैसे देशभक्त मोजूद हों उस देश को गुलाम कोन रख सकता था.
आखिर देशभक्तों के महत्पूर्ण योगदान से 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की दासता एवं अत्याचार से हमें आजादी प्राप्त हुई थी.
ये आजादी अमूल्य है क्योंकि इस आजादी में हमारे असंख्य भाई-बंधुओ का संघर्ष, त्याग तथा बलिदान समाहित है.
ये आजादी हमें उपहार में नही मिली है| वंदे मातरम् और इंकलाब जिंदाबाद की गर्जना करते हुए अनेक वीर देशभक्त फांसी पर झूल गए.
13 अप्रैल 1919 को जलियाँवालाहत्याकांड, वो रक्त रंजित भूमि आज भी देश-भक्त नर-नारियों के बलिदान की गवाही दे रही है.आज हम जिस खुली फिजा में साँस ले रहे हैं वो हमारे पूर्वजों के बलिदान और त्याग का परिणाम है.
हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि मुश्किलों से मिली आजादी की रूह को समझें .
आजादी के दिन तिरंगे के रंगो का अनोखा अनुभव महसूस करें इस पर्व को भी आजाद भारत के जन्मदिवस के रूप में पूरे दिल से उत्साह के साथ मनाएँ.
स्वतंत्रता का मतलब केवल सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता ही नही है इस स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते हमे अपने आप से ये वादा करना है कि हम अपने देश को विकास की ऊँचाइयों तक ले जायेंगे और भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाएगे ताकि हमारे देशभक्तों और शहीदों का बलिदान व्यर्थ ना जाए!
.thankuuuu
sidj909:
thanks
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