Hindi, asked by simrankumari60, 10 months ago

write a story on vasudheva kutumbakam.I will mark you sa brainliest an award you with 70 points


Ananya2312: It is not a story. It is a shlok in sanskrit which means the whole world is a family

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Answered by smartysurya773389
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Vicky1924 Ambitious
Vasudhaiva Kutumbakam In Hindi

साहित्यिक रूप से संस्कृत एक समृद्ध भाषा है। इसी भाषा से एक महान् विचार की उत्पत्ति हुई है – वसुधैव कुटुम्बकम्। वसुधा का अर्थ है-पृथ्वी और कुटुम्ब का अर्थ है-परिवार, कुनबा। इस प्रकार, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ हुआ-पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है और इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्य और जीव-जन्तु एक ही परिवार का हिस्सा हैं। यद्यपि यह एक प्राचीन अवधारणा है, किन्तु आज यह पहले से भी अधिक प्रासंगिक है।

हम सभी जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज की सबसे प्रथम कड़ी होता है- परिवार। परिवार लोगों के एक ऐसे समूह का नाम है, जो विभिन्न रिश्ते-नातों के कारण भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। ऐसा नहीं है कि उनमें कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं होता या वैचारिक मतभेद नहीं होते, परन्तु इन सबके बावजूद एक-दूसरे के दुख-सुख के साथी होते हैं। इसी अपनेपन की प्रबल भावना होने के कारण परिवार सभी लोगों की पहली प्राथमिकता होता है। एक परिवार के सदस्य एक-दूसरे को पीछे धकेलकर नहीं बरन् एक-दूसरे का सहारा बनते हुए आगे बढ़ते हैं। परिवार के इसी रूप को जब वैश्विक स्तर पर निर्मित किया जाए, तो वह ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ कहलाता है

मनुष्य जाति इस धरती पर उच्चतम विकास करने वाली जाति है। बौद्धिक रूप से वह अन्य सभी जीवों से श्रेष्ठ है। अपनी इसी बौद्धिक क्षमता के कारण यह पूरी पृथ्वी का स्वामी है और पृथ्वी के अधिकांश भू-भाग पर उसका निवास है।

शारीरिक बनावट के आधार पर सभी मनुष्य एक-जैसे हैं, उनकी आवश्यकताएँ भी लगभग एक जैसी ही हैं, अलग-अलग स्थानों पर रहने के बावजूद उनकी भावनाओं में भी काफ़ी हद तक समानता है।

बावजूद इसके वह बँटा हुआ है और इसी कारण उसने भू-खड्डों को भी बाँट लिया है। पृथ्वी महाद्वीपों में, महाद्वीप, देशों में और देश राज्यों में विभक्त हैं। कहने को यह धरती का विभाजन है और यह आवश्यक भी लगता है, परन्तु प्रत्येक स्तर के विभाजन के साथ ही मनुष्य की संवेदनाएँ भी घंटी हैं। आज एक सामान्य व्यक्ति की प्राथमिकता का क्रम परिवार, मोहल्ले से शुरू होता है और उसका अन्त देश या राष्ट्र पर हो जाता है। देखा जाए तो आधुनिक समय में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ ग्रन्थों-पुराणों में वर्णित एक अवधारणा बनकर रह गई है, वास्तव में यह कहीं अस्तित्व में नज़र नहीं आती

मूलत: वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा की संकल्पना भारतवर्ष के प्राचीन ऋषिमुनियों द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य था – पृथ्वी पर मानवता का विकास। इसके माध्यम से उन्होंने यह सन्देश दिया कि सभी मनुष्य समान हैं। और सभी का कर्तव्य है कि वे परस्पर एक-दूसरे के विकास में सहायक बनें, जिससे मानवता फलती-फूलती रहे। भारतवासियों ने इसे सहर्ष अपनाया, यही कारण है कि रामायण में श्रीराम पूरी पृथ्वी को इक्ष्वाकु वंशी राजाओं के अधीन बताते हैं।

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से ओतप्रोत होने के कारण ही, कालान्तर में भारत ने हर जाति और हर धर्म के लोगों को शरण दी और उन्हें अपनाया, लेकिन जब सोलह-सत्रहवीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगीकरण का आरम्भ हुआ और यूरोपीय देशों ने अपने उपनिवेश बनाने शुरू कर दिए, तब दुनियाभर में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का ह्रास हुआ तथा एक नई अवधारणा राष्ट्रवाद’ का जन्म हुआ, जो राष्ट्र तक सीमित थी।

आज भी दुनिया में राष्ट्रवाद हावी है। इसमें व्यक्ति केवल अपने राष्ट्र के बारे में सोचता है, सम्पूर्ण मानवता के बारे में नहीं, यही कारण कि दुनिया दो विश्वयुद्धों का सामना करना पड़ा, जिनमें करोड़ों लोग मारे गए। आज मनुष्य धर्मजाति, भाषा, रंगसंस्कृति आदि के नाम पर इतना बँट चुका है कि वह सभी के शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के विचार को ही भूल चुका है। जगह-जगह पर हो रही हिंसा, युद्ध और वैमनस्य इसका प्रमाण है।

आज पूरा विश्व अलग-अलग समूहों में बँटा हुआ है, जो अपने-अपने अधिकारों और उद्देश्यों के प्रति सजग है, परन्तु देखा जाए तो सबका उद्देश्य विकास करना ही है। अत: आज सभी को वैर-भाव भुलाकर वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है, क्योंकि सबके साथ में ही सबका विकास निहित है। हालाँकि कुछ राष्ट्र इस बात को समझते हुए परस्पर सहयोग बढ़ाने लगे , परन्तु अभी इस दिशा में बहुत काम करना बाकी है जिस दिन पृथ्वी के सभी लोग अपने सारे विभेद भुलाकर एक परिवार की तरह आचरण करने लगेंगे, उसी दिन सच्ची मानवता का उदय होगा और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का सपना साकार होगा।


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simrankumari60: I don't wanted an essay I want a story
smartysurya773389: isme se cut kr lenaa jo faltu ho aur story type kr do
smartysurya773389: ok
smartysurya773389: becoz story mein bahut prvlm hai
simrankumari60: okay can u suggest me some ideas
simrankumari60: I will mark u brainliest
smartysurya773389: tum naa jo topic hai unse related saari chij copy krnaa bas aur faaltu chhood do
smartysurya773389: wo hi story ho jayega
simrankumari60: okay
simrankumari60: thanx
Answered by Anonymous
5
Hey mate ^_^

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Answer:
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वसुधैव कुटुम्बकम्

यह विचारधारा सनातन धर्म की है। इसका अर्थ है कि इस वसुधा अर्थात धरती में रहने वाले सभी लोग एक परिवार है। यह हमारा संस्कार है। हम भारतवासियों की विचारधारा है। हमारी संस्कृति बहुत पुरानी है। हमारा चाल-चलन, हमारी परम्पराएँ, हमारे संस्कार, हमारी भावनाएँ इत्यादि सभी इसमें आते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम् में सबके साथ सबके विकास की बात होती है। 


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