write a story using this hints
एक जंगल - खरगोश और कछुआ - अपनी
फुर्ती - गर्व - हमेशा कछुए को - एक दिन
खरगोश - तुम्हारे और
मेरे बीब दौड़ - मुझे मंजूर है - ऊँची पहाड़ी
तक - दौड़ आरंभ - खरगोश काफी आगे -
आराम करना - गहरी नींद -
धीरे-धीरे - आगे निकल - विजय रेखा - नींद
| टूटी- सिर शर्म - झुक गया।
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Answer:
Webdunia
वह कहानी जो आपने नहीं सुनी
कछुए और खरगोश की कहानी आप सबने ज़रूर सुनी होगी, फिर भी एक नजर मारते चलें।
एक बार खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड हो गया और वह जो मिलता उसे रेस लगाने के लिए चुनौती देता। कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली।
रेस हुई। खरगोश तेजी से भागा और काफी आगे जाने पर पीछे मुड़ कर देखा, कछुआ कहीं आता नज़र नहीं आया, उसने मन ही मन सोचा कछुए को तो यहां तक आने में बहुत समय लगेगा, चलो थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, और वह एक पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे कब उसकी आंख लग गई पता ही नहीं चला।
उधर कछुआ धीरे-धीरे मगर लगातार चलता रहा। बहुत देर बाद जब खरगोश की आंख खुली तो कछुआ लक्ष्य तक तक पहुंचने वाला था। खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कछुआ रेस जीत गया।
कहानी से सीख : धीमा और लगातार चलने वाला रेस जीतता है।
यह कहानी तो हम सब जानते हैं, अब आगे की कहानी देखते हैं:
रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है, वह अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वह अति आत्मविश्वास के कारण यह रेस हार गया…उसे अपनी मंजिल तक पहुंच कर ही रुकना चाहिए था।
अगले दिन वह फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती देता है। कछुआ पहली रेस जीत कर आत्मविश्वास से भरा होता है और तुरंत मान जाता है।
रेस होती है, इस बार खरगोश बिना रुके अंत तक दौड़ता जाता है, और कछुए को एक बहुत बड़े अंतर से हराता है।
कहानी से सीख : तेज और लगातार चलने वाला धीमे और लगातार चलने वाले से हमेशा जीत जाता है।
यानि धीमे और लगातार होना अच्छा है लेकिन तेज और लगातार होना और भी अच्छा है।
कहानी अभी बाकी है जी….
इस बार कछुआ कुछ सोच-विचार करता है और उसे यह बात समझ आती है कि जिस तरह से अभी रेस हो रही है वह कभी-भी इसे जीत नहीं सकता।
वह एक बार फिर खरगोश को एक नई रेस के लिए चैलेंज करता है, पर इस बार वह रेस का रूट अपने मुताबिक रखने को कहता है। खरगोश तैयार हो जाता है।
रेस शुरू होती है। खरगोश तेजी से तय स्थान की और भागता है, पर उस रास्ते में एक तेज धार नदी बह रही होती है, बेचारे खरगोश को वहीं रुकना पड़ता है। कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ वहां पहुंचता है, आराम से नदी पार करता है और लक्ष्य तक पहुंच कर रेस जीत जाता है।
कहानी से सीख : पहले अपनी ताकत को पहचानों और उसके मुताबिक काम करो जीत ज़रुर मिलेगी।
कहानी अभी भी बाकी है जी …..
इतनी रेस करने के बाद अब कछुआ और खरगोश अच्छे दोस्त बन गए थे और एक दूूसरे की ताकत और कमजोरी समझने लगे थे। दोनों ने मिलकर विचार किया कि अगर हम एक दूूसरे का साथ दें तो कोई भी रेस आसानी से जीत सकते हैं।
इसलिए दोनों ने आखिरी रेस एक बार फिर से मिलकर दौड़ने का फैसला किया, पर इस बार प्रतियोगी के रूप में नहीं बल्कि टीम के रूप में काम करने का निश्चय लिया।
दोनों स्टार्टिंग लाइन पर खड़े हो गए….get set go…. और तुरंत ही खरगोश ने कछुए को ऊपर उठा लिया और तेजी से दौड़ने लगा। दोनों जल्द ही नहीं के किनारे पहुंच गए। अब कछुए की बारी थी, कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों आराम से नदी पार कर गए। अब एक बार फिर खरगोश कछुए को उठा फिनिशिंग लाइन की ओर दौड़ पड़ा और दोनों ने साथ मिलकर रिकॉर्ड टाइम में रेस पूरी कर ली। दोनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे, आज से पहले कोई रेस जीत कर उन्हें इतनी ख़ुशी नहीं मिली थी।
कहानी से सीख : टीम वर्क हमेशा व्यक्तिगत प्रदर्शन से बेहतर होता है।
व्यक्तिगत रूप से चाहे आप जितने दक्ष और होनहार हों लेकिन अकेले दम पर हर मैच नहीं जीता सकते।
अगर लगातार जीतना है तो आपको टीम में काम करना सीखना होगा, आपको अपनी काबिलियत के अलावा दूसरों की ताकत को भी समझना होगा। और जब जैसी परिस्थिति हो, उसके हिसाब से टीम की ताकत का इस्तेमाल करना होगा।