Write about kaveri river in hindi
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पुराणों ने इस नदी को अग्नि देवता की 16 नदी पत्नियों में से एक बताया है। कर्नाटक प्रान्त के कुर्ग के पास ब्रह्मगिरि पर्वत पर चंद्रतीर्थ ही इस नदी की उद्गम स्थली है। श्री रंगपट्टम, नरसीपुर, तिरुमकुल, शिव समुद्रम आदि कई तटवर्ती तीर्थ व नगर इसके किनारे स्थित हैं। रावण के भाई त्रिशिरा का तिरुचिरापल्ली नगर भी इसके पश्चिमी तट पर आबाद है। श्रीरंगम स्थल से कावेरी दो धाराओं में विभक्त हो गई है और उनके मध्य तीन द्वीप बन गए हैं- आदिरंगम, मध्यरंगम तथा अंतरंगम। इनमें अंतरंगम द्वीप को ही श्रीरंगम नाम से जाना जाता है। नारायण विष्णु की शेषशायी विश्व प्रसिद्ध सुंदर मूर्ति श्रीरंगम में अवस्थित है, इसीलिए वैष्णवों के इस द्वीप पर आंतरिक श्रद्धा है। कावेरी का विलय बंग सागर में कोलिडम के पास देखा जा सकता है।
दूसरी छोटी नदी कावेरी परिमात्र पर्वत के कवेश्वर नामक स्थान से प्रकट होकर ओंकारेश्वर मान्धाता के पास नर्मदा में समाहित हो जाती है। उल्लेखनीय है कि कावेरी-नर्मदा-संगम पर ही कुबेर ने तपस्या कर यक्षों और राज-राजाओं का अधिपत्य प्राप्त किया था। ब्रह्माण्ड, वायु पुराण में कावेरी को युवनाश्व की पुत्री, जन्हु की पत्नी और सुहोम की माताश्री बाताया गया है।
गोदावरी की तरह यह नदी भी भारत की पवित्र नदियों में से है। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली और तंजौर में बहती हुई पूर्वी सागर में विलीन हो जाती है। कावेरी के तट पर भी अनेक तीर्थ व कई विख्यात मंदिर हैं।