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ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रङ्गहीन, स्वादहीन तथा गन्धरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारम्भिक अध्ययन में जे॰ प्रीस्टले और सी॰डब्ल्यू॰ शेले ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह एक रासायनिक तत्त्व है। सन् 1772 ई॰ में कार्ल शीले ने पोटैशियम नाइट्रेट को गर्म करके आक्सीजन गैस तैयार किया, किन्तु उनका यह कार्य सन् 1777 ई॰ में प्रकाशित हुआ। सन् 1774 ई॰ में जोसेफ प्रिस्टले ने मर्क्युरिक-आक्साइड को गर्म करके ऑक्सीजन गैस तैयार किया। एन्टोनी लैवोइजियर ने इस गैस के गुणों का वर्णन किया तथा इसका नाम आक्सीजन रखा, जिसका अर्थ है - 'अम्ल उत्पादक'।
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(1) ऑक्सीजन को प्राणवायु कहा जाता है बिना भोजन पानी के जीव जंतु कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं परंतु ऑक्सीजन के ना मिलने पर तत्काल ही मृत्यु हो जाती है प्राणों को स्थिर या संचालित रखने के इसी गुण के कारण ऑक्सीजन प्राण वायु कही जाती है।
(2) ऑक्सीजन का 21% भाग वायु में उपस्थित रहता है।
(3) यह रंगहीन, गंधहीन, उदासीन गैस है।
(4) ऑक्सीजन गैस का रासायनिक सूत्र ‘O’ होता है।
(5) एक स्वस्थ मनुष्य के लिए ऑक्सीजन की मात्रा का 94 से 100 के बीच में होना आवश्यक है। इसके विपरित मात्रा होने पर मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास निश्चित होता है। अतः यहां ऑक्सीजन का मनुष्य के स्वास्थ्य से सीधा संबंध प्रकट होता है।
(6) ऑक्सीजन के माध्यम से विभिन्न धातुओं को जोड़ने तथा वस्तुओं को तोड़ने का कार्य सम्पन्न किया जाता है।
(7) ऑक्सीजन का उपयोग पर्वतारोहियों द्वारा भी किया जाता है। ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का अधिक ऊंचाई पर उड़ान में उपयोग किया जाता है।
(8) द्रवित ऑक्सीजन का प्रयोग प्रणोदक (रॉकेट ईंधन ) के रूप में किया जाता है।
(9) यह ऑक्सी- हाइड्रोजन ज्वाला, ऑक्सी- एथिलीन ज्वाला में भी प्रयोग की जाती है।