Hindi, asked by RohanMazumdar019, 1 year ago

Write about the Himalayas and write about their benefits in Hindi language

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Answered by asmitha79
2
now in Jammu Kashmir the temperature is zero degree celsius
Answered by MrTOXIC999
55

• हिमालय संस्कृत के हिम तथा आलय से मिल कर बना है जिसका शब्दार्थ 'बर्फ का घर' होता है। हिमालय भारत की धरोहर है। हिमालय पर्वत की एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तर प्रदेश के टिहरी-गढ़वाल ज़िले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 20,731 फुट है। इसे सुमेरु भी कहते हैं।

• हिमालय एक पर्वत श्रृंखला है जो भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत को अलग करता है।

• भारतवर्ष का सबसे ऊँचा पर्वत जो उत्तर में देश की लगभग 2500 किलोमीटर लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर एशिया से पृथक् करता है। कश्मीर से लेकर असम तक इसका विस्तार है।

अपवाह

हिमालय के अपवाह में 19 प्रमुख नदियाँ हैं। जिनमें ब्रह्मापुत्र व सिंधु सबसे बड़ी है, दोनों में से प्रत्येक का पर्वतों में 2,59,000 वर्ग किलोमीटर विस्तृत जलसंग्राहक बेसिन है। अन्य नदियों में से पाँच, झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, और सतलुज सिंधु तंत्र की नदियाँ हैं। जिनका कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1,32,090 वर्ग किलोमीटर है। नौ नदियाँ, गंगा, यमुना, रामगंगा , काली, करनाली, राप्ती, गंडक, बागमती व कोसी, गंगा तंत्र की हैं, जिनका जलग्रहण क्षेत्र 2,17,560 वर्ग किलोमीटर है और तीन, तिस्ता, रैदक व मनास, बह्मपुत्र तंत्र की हैं जो 1,83,890 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती हैं।

प्रमुख हिमालयी नदियाँ पर्वतश्रेणी के उत्तर से निकलती हैं और गहरे महाखड्डों से होती हुई बहती हैं, जो आमतौर पर कुछ भौगोर्भिक संरचनात्मक नियंत्रण को स्पष्ट करता है। सिंधु तंत्र की नदियों का बहाव एक नियम की तरह पश्चिमोत्तर है, जबकि गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र की नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र से बहते हुए पूर्वी मार्ग अपनाती हैं।

भारत के उत्तर में कराकोरम श्रेणी, जिसके पश्चिम में हिंदुकुश व पूर्व में लद्दाख़ श्रेणी है, एक विशाल जलविभाग बनाती है जो सिंधु तंत्र को मध्य एशिया की नदियों से अलग करता है। इस विभाजन के पूर्व में कैलाश श्रेणी और पूर्व की ओर आगे निआनकिंग तंग्गुला पर्वत हैं, जो ब्रह्मपुत्र, उच्च हिमालय श्रेणी के महाखड्ड को पार करने से पहले पूर्व की ओर लगभग 1,488 किलोमीटर बहती है। इसकी बहुत सी तिब्बती सहायक नदियाँ विपरीत दिशा में बहती हैं और संभवतः कभी ब्रह्मपुत्र की भी यही दिशा रही होगी।

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