Write an अनुच्छेद on करत- करत अभ्यास के होत जडमति सुजान
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निरंतर अभ्यास से मूर्ख ज्ञानी बन जाता है, अनाड़ी समझदार, चतुर, कुशल, सिद्ध, प्रवीण तथा सुविज्ञ बन जाता है। जैसे बार-बार रस्सी के आने-जाने से कुएँ की कठोर शिला पर भी निशान पड़ जाते हैं और पाषाण घिसकर चूर्ण में परिवर्तित हो जाता है। जो कलाकार हैं वे महानता को वरते हैं तथा सिदध पुरुष बनकर गरुत्व की दीप्ति के चमक उठते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। कोई भी व्यक्ति जन्म से प्रतिभाशाली नहीं होता। सतत् अभ्यास से जो व्यक्ति अंतः शक्तियों को विकसित कर लेता है, वही महानता का वरण करता है।
shivesh40:
Why do you follow me why you do somebody
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अभ्यास करने से कोई भी सफलता हम प्राप्त कर सकते हैं।
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