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नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) से बढ़ते मामले दुनियाभर में चिंता का विषय बने हुए हैं। इसका इलाज ढूंढने के लिए दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक रिसर्च पर लगे हुए हैं। भारत में भी बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों से सावधानी बरतने की अपील की गई है। देश में कोरोनायरस के बढ़ते मामलों और गंभीर होते हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने गुरुवार को देश को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) यानि सामाजिक दूरी के उपाए संबंधित दिशा निर्देश जारी किए। पर क्या आप जानते हैं सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब क्या होता है। इसका मतलब होता है एक-दूसरे से दूर रहना ताकि संक्रमण के ख़तरे को कम किया जा सके।
जानिए क्या होता है Social Distancing
जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं। इनमें वायरस होते हैं, जो किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। फरवरी तक की आई रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके अपनाने वाले लोगों ने कोरोना वायरस के खतरे को काफी कम किया है। जबकि ऐसा न करने से कई देशों को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।
नई दिल्ली। निर्भया (Nirbhaya Case) के चारों गुनहगारों को आज सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। इस वक्त शवों को पोस्टमार्टम (Postmortem) के लिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भेज दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक चारों अपराधियों में से किसी के भी परिजनों ने उनकी डेडबॉडी (Dead Bodies) लेने के लिए क्लेम नहीं किया है। ऐसे में अंतिम संस्कार कौन करेगा। इस बात को लेकर संशय है।
Nirbhaya Case: दोषियों के शव लेकर DDU हॉस्पिटल पहुंचे अधिकारी, डॉक्टरों की टीम करेगी पोस्टमार्टम
कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक फांसी के बाद अपराधियों (Accused) का शव लेने के लिए उनके परिजनों को लिखित में जेल प्रशासन को देना पड़ता है। इसमें लिखा जाता है कि परिवार वाले अपने रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार (Funeral) करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें शव सौंपा जाए। हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय जेल सुप्रिटेंडेड का होता है। अगर सुपरिटेंडेंट को लगता है कि शव सौंपने से वे इसका गलत प्रयोग कर सकते हैं तो वह शव देने से इंकार कर सकते हैं। चूंकि अभी तक निर्भया के दोषियों के परिजनों ने ऐसा कोई लिखित पत्र नहीं दिया है इसलिए माना जा रहा है कि जेल प्रशासन की ओर से अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शव लेने और अंतिम संस्कार से जुड़े नियम
दूसरा विकल्प ये भी होता है कि जेल सुपरिटेंडेंट की देख-रेख में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। शव को अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी की जाती है। जेल सुपरिटेंडेंट को पूरा अधिकार होता है कि वह शव के अंतिम संस्कार में जितना जरूरी खर्च हो वह कर सकता है। वहीं बात शव लेने की होती है तो किसी भी अपराधी को फांसी देने के बाद पहले डॉक्टर शव की जांच करके मौत की पुष्टि करते हैं। इसके बाद शव को ऑटोप्सी के लिए भेज दिया जाता है। तिहाड़ जेल के अधिकारियों के अनुसार पहले ऐसा नहीं होता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 2014 की गाइडलाइन्स के बाद ये किया जाता है।
अटॉप्सी की होगी वीडियो रिकॉर्डिंग
निर्भया के चारों दोषियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल भेज दिया गया है। यहां डॉ. बीएन मिश्रा की अगुवाई में पांच डॉक्टरों की टीम अटॉप्सी करेगी। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी।
दोषियों ने जाहिर नहीं की थी अंतिम इच्छा
मरने से पहले सभी अपराधियों की अंतिम इच्छा पूछी जाती है। इसी सिलसिले में निर्भया के चारों दोषियों से भी उनकी आखिरी ख्वाहिश के बारे में पूछा गया था। तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि मरते वक्त वे सभी इतने ज्यादा निराश थे कि उनमें से किसी ने भी अपनी कोई इच्छा जाहिर नहीं की।
परिवार वालों को सौंपे जाएंगे कपड़े
डीजी तिहाड़ जेल के मुताबिक निर्भया के चारों दोषियों के परिजनों ने शव लेने के लिए अभी तक कोई क्लेम नहीं किया गया। ऐसे में अंतिम संस्कार करने को लेकर चर्चा जारी है। वैसे दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे, उनके कपड़े और अन्य सामान उनके परिवारवालों को सौंप दिए जाएंगे।