Hindi, asked by mridullaltumukherjee, 8 months ago

Write an essay on आधुनिक भारतीय नारी। Clue points- भूमिका, दोहरी भूमिका, प्रतिभा, खमता, कर्तव्य खेत्र, महत्व, उपसंहार।

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Answered by ayushyadav143
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संस्कार दिए जाते है। और वो संस्कार उसे सहज कर रखना होता है। जैसे धीरे बोलों, किसी के सामने ज्यादा नहीं हसना, गंभीर बनो यानी समझदार बन कर रहना। उस बच्ची का बचपन न जाने किस अँधेरे कमरे में गुम हो जाता है। हमारा पुरूष प्रधान देश क्यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है। उसके मन में कुछ कोमल संवेदनाएँ होती है। जो उसे खुबसूरत बनाती है। वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है। परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है।

आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। नारी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्षेत्र में आगे बड़ रही है, बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है। पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था। चूल्हा-चौका करके और संतानोत्पति तक ही उसका जीवन सिमित था। विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्तव्य था। घर संभालना, उसे घर की इज्जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था। उसे माँ के रूप में ,पत्नी के रूप में, पुत्री के रूप में,

आज नारी का कदम घर से बाहर की और बड़ गया है। पहले नारी के वस्त्रो पर ध्यान दिया जाता था नारी केवल साडी ही पहन सकती थी। मतलव अपने आप को उसे पूरी तरह से ढक कर रखना नारी का कर्य था। आज की नारी बहुत आगे निकल गई है उसकी वेशभूषा काफी बदल गयी है, वो अब अपनी मनचाही वेशभूषा के लिए स्वतंत्र है। परन्तु ज़्याद लोग और नारी स्यम अपनी आधुनिक वेशभूषा को और स्वच्छंद विचरण को ही नारी का आधुनिक होना मान रहे है। परन्तु स्वतंत्रता का अपनाना आधुनिकता नहीं है। नारी को शक्ति का प्रतिक माना जाता रहा है। और उसने अदम्य साहस का परिचय भी दिया है।

इसके अतिरिक्त धर्य एवं त्याग का और नारी को पृथ्वी की संज्ञा दी गयी है। झांसी लक्षमीबाई और पन्ना धाय जैसी नारियो ने इतिहास में नारी शक्ति और त्याग को सिद्ध किया है। वास्तव में दमन का विरोध और प्रगतिशील नवीन विचारो का अपनाना ही नारी का आधुनिक होना है और ऐसा प्रत्येक युग में करती रही है। नारी ने अगर कुछ कहा या करा तो उसमे किसी न किसी रूप में ऊँगली उठा दी गयी

नारी को मानवीय आधिकारो से वंचित किया जाता रहा है। दमन का विरोध करने का, शिक्षा ,राष्ट्र के विकाश में सहयोग देने का अधिकार नहीं दिया जाता था परन्तु बीसवीं शताब्दी के प्राम्भ में पशिचमी राष्ट्र की नारी स्वतंत्र होकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने लगी थी। उसने शिक्षा का अधिकार प्राप्त कर लिया है। शिक्षा में तो नारीने बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। शिक्षा के द्वारा उसके लिए बहुत सारे द्वार खुल गए है। एशा कोई क्षेत्र है जिसमे उसे प्रगति ना की हो। बीसवी शताब्दी में भारतीय नारी की शिक्षा पर भी स सुधारकों द्वारा बल दिया जाने लगा था ||

आज भारतीय नारी चार दीवारी से निकल कर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गयी है। शिक्षित होकर विभिन्न क्षेत्रों में वो अच्छा प्रदर्शन कर रही है। नारी को भोग्या मानने वाले पुरुष प्रधान समाज में नारी ने प्रमाणित कर दिया की वो भी इस पुरुष प्रधान देश में अपना लोहा रख सकती है। आज उसकी प्रतिभा और दृश्टिकोण पुरुष से पीछे नहीं है। साहित्य ,शचिकित्सा ,विज्ञान , अनेक ऐसे क्षेत्र है। जिसमें नारी ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शीत की है। केवल पुरुष का क्षेत्र मानने वाले पुलिस विभाग में मुस्तैदी से अपना कार्य कर रही है। और पुरुष से पीछे नहीं है। कल्पना चावला, बछेंद्री पाल ,ऐसी कई इस्त्रियाँ है अगर जिनका नाम गिनने लगे तो शायद पूरी किताब पड़ ले उनके बारे में या लिखने बैठे तो कॉपी के पन्ने भी कम पड़ जायेंगे आज नारी अंतरिक्ष में जाने के साथ ही हिमालय की दुर्गम चोटी पर भी चढ़ रही है। और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं छोड़ रही है जहाँ वो अपनी विजय का झंडा ना फेरा रही हो।

जापान और रूस में, महिलाएं हर काम करती हैं। जापान एटम बमों से तबाह हो गया था लेकिन यह बहुत जल्द ही बच गया क्योंकि इसके मानव संसाधन ने अपनी अर्थव्यवस्था को स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की। जब एक महिला खुद को उत्पादक कार्य में लगाती है, तो न केवल परिवार बल्कि देश को भी फायदा होता है। जीवन का मानक उसी के अनुसार बढ़ता है। क्रय शक्ति बढ़ती है और हम अपने बच्चों को अधिक सुविधाएं दे सकते हैं। अप्रत्यक्ष तरीके से, यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सहायता है। यदि पति और पत्नी दोनों काम पर हैं, तो उनकी आय दोगुनी हो जाती है। वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं दे सकते हैं। एक महिला जो आर्थिक सुरक्षा का आनंद लेती है, वह परिवार में हंसी खुशी ले आती है। पूरा परिवार पृथ्वी पर स्वर्ग का स्थान बन जाता है | नया भारत कई बदलावों से गुजर रहा है। सामाजिक परिवर्तन हर जगह दिखाई देता है। देश में महिलाओं की स्थिति में बदलाव हो रहा है, हालांकि यह परिवर्तन क्रमिक है। उसे अब घर में घरेलू नौकर या मुफ्त कुक के रूप में नहीं रखा जा सकता है।

नारी में विधमान उसकी प्रतिभा और प्रगति समाज के लिए आवश्यक है। परन्तु आधुनिकता के नाम पर नारी को समाज को दूषित करने का कोई अधिकार नहीं है। क्युकी नारी का दर्जा माँ, बेटी, और किसी की पत्नी और साथ ही माँ दुर्गा, सरस्वती के रूप में पूजी जाती है। इसलिए उसको भी इनका सम्मान रखते हुए आगे बढ़ना हे ना की रिश्तो को तोड़कर परीवार को अलग करके आधुनिकता को अपनाना है बेसे भी नारी का दर्जा समाज को सम्मान दिलाने के लिए है समाज को परिवार की तरह जोड़कर रखने के लिए है, ना की तोड़ने के लिए।

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