Hindi, asked by sonu2755, 1 year ago

Write an essay on maa sarswati in hindi

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Answered by ayushverma16
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सरस्वती के स्वरूप वर्णन में ही सच्चे सारस्वत के लिए मार्गदर्शन है। सरस्वती कुन्द, इन्दु, तुषार और मुक्तहार जैसी धवल हैं, सच्चा सारस्वत भी वैसा ही होना चाहिए। कुन्द पुष्प सौरभ फैलाता है, चँद्र शीतलता देता है, तुषारबिन्दु, सृष्टिका सौंदर्य बढ़ाता है और मुक्ताहार व्यवस्था का वैभव प्रकट करता है। सच्चे सारस्वत का जीवन सौरभयुक्त होना चाहिए।

पुष्प की सुगंध जिस तरह सहज फैलती है, उसी तरह उसके ज्ञान की सुगंध शांति प्रदान करती है उसी तरह सरस्वती का सच्चा उपासक अनेक लोगों के संतप्त जीवन में शांति का स्त्रोत बहाता है। वृक्ष के पत्ते पर पड़ा हुआ ओसबिन्दु मोती की शोभा धारण करके वृक्ष के सौंदर्य को बढ़ाता है, उसी तरह सरस्वती के सच्चे उपासक के अस्तित्व से संसार वृक्ष की शोभा बढ़ती है।

ऐसे मानव के लिए कहना पड़ता है कि 'जयति तेऽधिकं जन्मना जगत्‌।' हार याने कुक्ताहार। अकेले मोती से मोतियों का हार ज्यादा सुंदर लगता है। सरस्वती के उपासकों को भी इस तरह एक साथ, एक सूत्र में बँधकर काम करने की तैयारी रखनी चाहिए। विद्वानों की शक्ति का ऐसा योग किसी भी महान कार्य को सुसाध्य बनाता है।

माँ सरस्वती ने धवल वस्त्र धारण किए हैं। सरस्वती का उपासक भी मन, वाणी और कर्म से शुभ्र होना चाहिए। सरस्वती के हाथ वीणा के वरदंड से शोभित हैं। वीणा संगीत का प्रतीक है। संगीत एक कला है। इस दृष्टि से देखने पर सरस्वती का उपासक संगीत का प्रेमी और जीवन का कलाकार होना चाहिए। संगीत यानी सम्यक्‌ गीत।

वाणी के सुर जिस तरह सुसंवादित होते हैं, उसी तरह हमारे कार्य भी यदि सुसंवादित हों तभी हमारे जीवन में संगीत प्रकटेगा। वीणा को वरदण्ड यानी श्रेष्ण दण्ड कहा है। दंड यदि सजा का प्रतीक हो तो उससे श्रेष्ठ सजा दूसरी क्या हो सकती है? जिसकी सजा में भी संगीत है ऐसा सरस्वत ही दूसरे मानव का हृदय परिवर्तन कर सकता है। मानव को बदलने वाला दंड निश्चित ही श्रेष्ठ है, उसका दर्शन माँ सरस्वती हमें वीणा का वरदण्ड हाथ में रखकर कराती है।


sonu2755: thank you
Answered by smile0912
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Explanation:

माँ सरस्वती ने धवल वस्त्र धारण किए हैं। सरस्वती का उपासक भी मन, वाणी और कर्म से शुभ्र होना चाहिए। सरस्वती के हाथ वीणा के वरदंड से शोभित हैं। वीणा संगीत का प्रतीक है। संगीत एक कला है। इस दृष्टि से देखने पर सरस्वती का उपासक संगीत का प्रेमी और जीवन का कलाकार होना चाहिए। संगीत यानी सम्यक्‌ गीत।

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