Hindi, asked by licraushan, 10 months ago

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Answered by Anonymous
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Explanation:

नारी शब्द अपने आप में ही सोच, मनोबल, ग्यान, बलिदान,ममता और सहयोग का प्रतीक है। किसी भू देश को विकसित तभी कहा जा सकता है जब वहाँ पर पुरूष और स्त्रियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाए और दोनों एक साथ मिलकर कार्य करे। नारी को सम्मान का दर्जा दिया जाए। भारत में महिलाओं को पौरानिक समय सै ही बहुत मान सम्मान दिया जाता है। नारी ने शुरू से ही बहुत से त्याग किए है और जरूरत पड़ने पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी दिया है। आज के युग में नारी हर क्षेत्र में पुरूषों से आगे है। वह हर क्षेत्र में अपनी शक्ति को प्रस्तुत कर रही है।

पुराने समय में नारी की पूजा की जाती थी। उस समय में भी महिलाओं को अपने जीवन से जुड़े फैसले लेने का पूरा हक था। वह अपनी मर्जी से शादी कर सकती थी। उन्हें शिक्षा का भी अधिकार था। लेकिन जैसे जैसे विदेशी शासक भारत में आते गए महिलाओं की दशा भारतीय समाज में बुरी होती गई। दुर्गा माँ को शक्ति का प्रतीक माना जाता है और कहा जाता है कि जरूरत पड़ने पर एक महिला दुर्गा का रुप भी धारण कर लेती है। इतिहास में नारी शक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई है जिन्होंने मरते दम तक अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़ी। ज्यादातर रानियाँ राजाओं की सलाहकार होती थी जिन्होने उच्च निर्णय लेकर अपनी सुझ बुझ का परिचय दिया है।

आज के युग में भी नारी हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का परिचय दिया है। शिक्षा से लेकर व्यापार तक, खेल कुद से लेकर फिल्मों आदि तक नारी ने अपने पैर पसार लिए है। नारी में इतनी ताकत है कि वह बहुत सारी जिम्मेदारी एक साथ संभाल लेती है। वह घरेलू कार्य करने के साथ साथ बच्चों का भी पालन पोषण करती है और साथ ही बाहर जाकर पुरुषों के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम भी करती है और घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायता करती है। आज जहाँ भी देखों सबसे उपर महिला का ही नाम होता।

महिलाएँ सेना से लेकर लड़ाकू विमान तक चलाने में सक्षम है। अब लड़कियों ने व्यापार की ओर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। नारी कमजोर नहीं है बल्कि वह शक्ति का प्रतीक है। उसकी सोचने समझने और परखने की शक्ति का कोई मुकाबला नहीं है । नारी ने अब धीरे धीरे अपने अधिकारों के बारे में जाना है और वह अपने हक पाने के लिए लड़ रही है। नारी को अब पिता की संपत्ति में भी बराबर का हक मिला है। एक महिला माँ बनना चाहती है या नहीं वह भी उसी की इच्छा है। नारी और पुरूष दोनों ही मानव समाज को चलाने के लिए अनिवार्य है। इस समाज को चलानो में दोनो की ही समान भागीदारी है। नारी को कमजोर समझना उचित नहीं है बल्कि वह पुरूषों से भी ज्यादा शक्तिशाली है और उनमें आत्मविश्वास कुट कुट कर भरा होता है। इतिहास गवाह है कि पुरूषों पर जब भी कोई मुसीबत आई है तो स्त्रियों ने ही उनकी सहायता की है जैसे कौशल्या ने युद्ध भूमि में दशरथ की करी थी। नारी शक्ति सब पर भारी है। भारतीय नारी की शक्ति का लोहा तो पूरी दुनिया मानती है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध को पसंद करेंगे।

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