write an essay on samajik janjal social networking vardaan ya abhishap in hindi
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Heya mate....
Here is ur answer...
एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज सात समंदर पार बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। अपना दर्द बयाँ किया जा सकता है। अपने आसपास के माहौल से अवगत करवाया जा सकता है। कहा जाये तो आज पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गयी है और इसका पूरा श्रेय जाता है सोशल मीडिया को।
@skb
Here is ur answer...
एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज सात समंदर पार बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। अपना दर्द बयाँ किया जा सकता है। अपने आसपास के माहौल से अवगत करवाया जा सकता है। कहा जाये तो आज पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गयी है और इसका पूरा श्रेय जाता है सोशल मीडिया को।
@skb
sujatasenapati3:
excellent thank you for this
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