write anuchedh lekhan about meri priya adyapika
Answers
Answer:
प्रस्तावना:
हम सभी के जीवन में शिक्षक का बहुत महत्व होता हैं | एक शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया हैं, क्यों की माता – पिता के बाद ही शिक्षक छात्र के अन्दर सोचने और समझने की शक्ति को विकसित करते हैं |
शिक्षक पुरे संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं | माता – पिता यह हमारे जीवन के सबसे पहले गुरु होते हैं | उसके बाद शिक्षक हमें अज्ञान रूपी अंधकार से हमारे जीवन पर ज्ञान रूपी प्रकाश डालते हैं |
शिक्षकों का एक ही उद्देश होता हैं की, छात्र अपने जीवन में सफल हो जाये और उसका नाम गर्व से ऊँचा करे | लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं, जिनका व्यक्तित्व, पढ़ाने का टिका और उनका आचरण काफी प्रभावित करता हैं | जिसकी वजह से वो बच्चों के आदर्श और प्रिय शिक्षक या शिक्षिका बन जाते हैं |
मेरी प्रिय अध्यापिका
हमारे स्कूल में बहुत सारे शिक्षक और शिक्षिका हैं | उन सभी में से मेरी प्रिय अध्यापिका विज्ञानं की शिक्षिका हैं | उनका नाम स्नेहा रावत हैं | वह स्कूल के परिसर के पास में ही रहती हैं |
यह हम सभी को बहुत अच्छे से पढ़ाती हैं | उनका एक अनोखा व्यक्तिमत्व हैं | यह स्कूल की सबसे अच्छी अध्यापिका हैं और यह मेरे दोस्तों को भी बहुत पसंद हैं |
कोई भी छात्र उनके पढ़ाने पर उबता नहीं हैं, क्यों की वो पढाई के दौरान मनोरंजक बाते भी बताती हैं | वो कक्षा में जो पाठ अगले दिन पढाया जाता हैं, उसे सभी छात्रों को गहर से पढ़कर आने के लिए कहती हैं |
मित्रता का व्यवहार
वह सभी छात्रों के साथ बहुत ही मित्रवत की तरह व्यवहार करती हैं | इसलिए हमें उनसे डर नहीं लगता हैं |
हम बिना किसी डर से उनके केबिन या कक्षा में उनसे कोई भी सवाल पूछते हैं | जब वो कक्षा में पढ़ाती हैं तब सभी छात्रों के गतिविधियों को देखती हैं |
उसके साथ शरारती बच्चों को दंडित करती हैं | वह हमेशा पढाई पर ध्यान देने के लिए कहती हैं और अध्यापक की बातों का पालन करने के लिए कहती हैं |
बातों का पालन
वह हमेशा हंस अभी से कहती हैं की अगर अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो अध्यापक के द्वारा बताई गयी बातों ध्यान रखना चाहिए |
उनकी बातों का जीवन भर पालन करना चाहिए | वह कभी भी कमजोर और बुद्धिमान बच्चों में भेदभाव नहीं करती हैं |
वो कमजोर बच्चों को अधिक मदद करती हैं | वह हमें कहती हैं की, हमेशा अपनी पढाई और जीवन के लक्ष्य के बारे में सोचना चाहिए |
निष्कर्ष:
मेरी प्रिय अध्यापिका से मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं | उसके साथ – साथ मेरे अन्दर सकारात्मक भावना का संचार हो जाता हैं |
उनकी वजह से मेरा आचरण नैतिकवादी और आदर्शवादी बना हैं | मैं अपने प्रिय अध्यापिका के लिए सिर्फ इतना ही कहन चाहता हूँ की,
“नहीं है मेरे पास शब्द कि कैसे करुं धन्यवाद,
मुझे तो सिर्फ चाहिए बस आपका आर्शीवाद।
आज जो भी हूं उसमें है आपका बड़ा योगदान,