write composition on city development in Hindi .
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इन दिनों विकास मॉडलों की चर्चा दुनियाभर में हो रही है । चर्चा प्रिंट मीडिया से लेकर दृश्य मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी पंचायतों, चौपालों और नुक्कड़ों तक में धूम मची है । अभी भारत में जो मॉडल अपनाया गया है, वह उदारीकरण, निजीकरण, भूमंडलीकरण का मॉडल है ।
यह विकसित देशों द्वारा विकासमान देशों के और विकासमान देशों में विकसित क्षेत्रों द्वारा पिछड़े क्षेत्रों के शोषण का मॉडल है । इसमें बाजार राजा होता है एवं केन्द्र में मुनाफा, इसीलिए यह हमारे देश के लिए सही मॉडल नहीं है । यह पिछड़े क्षेत्रों, खासकर हिंदी पट्टी व बीमार राज्यों के लिए तो भारी घातक है, ऊपर से भूमंडलीकरण की तलवार भी बराबर लटकी चली आ रही है ।
याद रहे कि आज का दौर वित्तीय भूमंडलीकरण का दौर है । यह पूँजीवादी भूमंडलीकरण का तीसरा दौर है । 16-17वीं सदी में व्यापारिक भूमंडलीकरण आया, जिसमें मालों का निर्यात होता था, जिसमें यूरोप के व्यापारियों ने अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया आदि पर कब्जा किया ।
18वीं-19वीं सदी में औद्योगिक भूमंडलीकरण आया, जब यूरोप की सरकारों ने दुनिया में अपना उपनिवेश कायम कर लिया । तीसरे नये दौर में अमेरिकी छतरी के नीचे, यूरोप और जापान की तिकड़ी की देखरेख में वित्त पूंजी का आवारा या सट्टा पूंजी का साम्राज्य दुनिया भर में भूमंडलीकरण है, जिसका फल पूरी दुनिया की आबादी भोग रही है ।
लोग पूछते हैं कि उपाय क्या है, क्या पिछड़े लगातार गांवों से पलायन करते रहेंगे, वे दरबदर होते रहेंगे? वे आत्महत्या के शिकार होते रहेंगे? एसोचैम के सर्वे के अनुसार गांवों-कस्बों की बचत, नगरों तथा महानगरों की तरफ जा रही है ।
विश्व बैंक के अनुसार भारत में पिछडे और अगड़े राज्यों या इलाकों के बीच प्रति व्यक्ति आय की खाई बढ़ती जा रही है । पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम कहते हैं कि विकासमान देशों की बचत विकसित देशों की ओर भाग रही हैं । अभी अमेरिका की बचत दर लगभग शून्य है और उसका कारोबार विकासमान देशों की बचत से चल रहा है ।
यह तो एक तरह से अंधी खोपड़ी की नीति है या फिर वह भ्रष्ट मॉडल है जो लोकतंत्र विरोधी एवं मानव विरोधी है । यही भूमंडलीकरण का विकास मॉडल है । इस मॉडल के रहते पिछड़े प्रदेशों का विकास असंभव है । इसी संदर्भ में विकास का एक दूसरा मॉडल लोकतंत्र आधारित मॉडल है हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद से खासकर 1950 में 26 जनवरी को लोकतांत्रिक संविधान लागू कर देने की घोषणा के बाद से देश में खासकर पिछड़े इलाकों मे लोकतंत्र की लड़ाई बदस्तुर जारी है ।
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