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प्रत्येक वर्ष 18 मई को मैं अपना जन्मदिन मनाता हूँ । इस दिन मेरे परिवार में उत्सव का-सा दृश्य होता है । यह दिन उत्सव की ही भाँति बहुत धूम- धाम से मनाया जाता है । मेरी खुशी में परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं । माता-पिता मेरे जन्मदिन पर एक शानदार पार्टी का आयोजन करते हैं ।
इस बार मेरा जन्मदिन आया तो घर में पार्टी की तैयारियाँ होने लगीं । घर में ही एक शामियाना लगाया गया । माँ ने पड़ोसियों को दावत का न्यौता दिया । पिताजी ने मित्रों और निकट पडोसियों को फोन पर आमंत्रित किया । मैंने भी अपने मित्रों को घर आने का आमंत्रण दिया । खाना बनाने का प्रभार रसोइयों को सौंपा गया । आमंत्रित अतिथियों को खिलाने के लिए कुर्सियाँ और मेजें मँगवाई गई । घर को साफ कर विशेष सजावट की गई । केक के लिए दो दिन पहले ही आदेश दे दिए गए ।
आखिर मेरे जन्मदिन की तिथि आ ही गई । घर में प्रात -काल से ही चहल-पहल शुरू हो गई । तेरहवें जन्मदिन पर ईश्वर का आभार प्रकट करने मैं अपने माता-पिता के साथ मंदिर गया । मैंने ईश्वर की पूजा कर ली तो पुजारी जी ने मस्तक पर तिलक लगाया और भगवान का प्रसाद दिया । पिताजी ने मंदिर में गरीब लोगों को मेरे हाथों दान दिलवाए ।
हम लोग घर लौट आए । घर में पार्टी की तैयारियाँ आरंभ हो चुकी थीं । रसोइए पूड़ी, सब्जी, मिठाई, रायता आदि बनाने में जुटे हुए थे । निकट संबंधियों का आगमन आरंभ हो गया था । उन्हें मेहमानखाने में बिठाया गया । शाम हो गई । मैंने नए कपड़े पहने । इतने में मेरे सहपाठी और मित्र भी आ गए । घर में पड़ोस के बच्चों का जमावड़ा आरंभ हो गया । घर के बड़े कमरे में केक सजाया गया । तेरहवें जन्मदिन पर तेरह मोमबत्तियाँ जलाई गई । लोग केक वाली टेबल के चारों ओर खडे हो गए । मैंने केक काटा तो लोगों ने समवेत स्वर में मुझे जन्मदिन की बधाई दी । कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । माँ ने मुझे केक खिलाया । उन्होंने सभी आगंतुकों में भी केक, मिठाई, नमकीन और टॉफियाँ बीटी । बड़ा ही आनंददायक दृश्य था । कक्ष में गुब्बारे और झालरें टँगी हुई थीं । इस दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया गया ।
सभी आनंद में थे । आज मैं सबके आकर्षण के केन्द्र में था । चाचा जी ने उपहार में मुझे घड़ी दी । संबंधियों और मित्रों ने भी कुछ न कुछ उपहार दिए । किसी ने कलम, किसी ने पुस्तक किसी ने मिठाई तो किसी ने रंगों के सेट और ब्रुश दिए । उपहारों पर चमचमाती रंगीन कागजें लिपटी हुई थीं । पूरा कक्ष उपहारों से पटा पड़ा था । उपहारों के बदले मैं लोगों को धन्यवाद देता । शुभकामनाओं के बदले मैं उनका आभार प्रकट करता । माँ और पिताजी अतिथियों का स्वागत करने में व्यस्त थे ।
अब दावत की बारी थी । दावत की सारी तैयारियों की जा चुकी थीं । खाने की मेज सज चुकी थी । रसोइए खाना तैयार कर चुके थे । मेहमानों को खाने के लिए कहा गया । मैंने अपने मित्रों को बुलाकर मेज के सामने बिठाया । पूड़ी, पुलाव, सब्जी, मिठाई आदि परोसे गए । सबने जी भर कर खाना खाया । सभी भोजन की तारीफ कर रहे थे । पार्टी का आनंद हर कोई उठा रहा था ।
रात के साढ़े नौ बज चुके थे । मेहमान खाना खा चुके थे । वे एक-एक कर विदा लेने लगे । मेहमानों को विदा करने के बाद घर के सदस्यों ने साथ बैठकर खाना खाया । इसके बाद पार्टी समाप्त हो गई । मैं भरपेट खाकर उपहारों को देखकर खुश होने लगा । थोड़ी ही देर में मैं निद्रा देवी की गोद में जा पहुँचा ।
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