Hindi, asked by gNVcvnn, 1 year ago

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Answered by JMK1
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लक्ष्मीबाई उर्फ़ झाँसी की रानी मराठा शासित राज्य झाँसी की रानी थी। जो उत्तर-मध्य भारत में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था।

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Rani Laxmi Bai in Hindi | झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास

By

 Gyani Pandit

 -

June 25, 2015

    

Rani Laxmi Bai – लक्ष्मीबाई उर्फ़ झाँसी की रानी मराठा शासित राज्य झाँसी की रानी थी। जो उत्तर-मध्य भारत में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था।

Rani Laxmi Bai

महारानी लक्ष्मीबाई इतिहास – Rani Laxmi Bai History

पूरा नाम  – राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव
जन्म       – 19 नवम्बर, 1835
जन्मस्थान – वाराणसी
पिता      – श्री. मोरोपन्त
माता      – भागीरथी
शिक्षा     – मल्लविद्या, घुसडवारी और शत्रविद्याए सीखी
विवाह    – राजा गंगाधरराव के साथ

Rani Lakshmi Bai – झांसी की रानी लक्ष्मी बाई

लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नमक नगर में हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था। मनु की माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मनु के माता-पिता महाराष्ट्र से झाँसी में आये थे। मनु जब सिर्फ चार वर्ष की थी तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी।

मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। मनु के माँ की मृत्यु के बाद घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नही था इसलिये मनु के पिता उसे अपने साथ पेशवा के दरबार में ले गये। जहा चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया था। मनु ने बचपन में ही अपनी प्राथमिक शिक्षा घर से ही पूरी की थी और साथ ही मनु ने बचपन में शस्त्रों की शिक्षा भी ग्रहण की थी।

मई 1842 में 8 वर्ष की उम्र में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित महाराजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वह झाँसी की रानी बनी। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया।
1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था लेकिन चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। बाद में महाराजा ने एक पुत्र को दत्तक ले लिया। जो गंगाधर राव के ही भाई का बेटा था। बाद में उस दत्तक लिए हुए बेटे का नाम बदलकर महाराजा की मृत्यु से पहले दामोदर राव रखा गया था।

लेकीन ब्रिटिश राज को यह मंजूर नही था इसलिए उन्होंने दामोदर के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। उस मुक़दमे में दोनों ही तरफ से बहोत बहस हुई लेकिन बाद में इसे ख़ारिज कर दिया गया।

कंपनी शासन उनका राज्य हड़प लेना चाहता था। रानी लक्ष्मीबाई ने जितने दिन भी शासनसूत्र संभाला वो अत्याधिक सुझबुझ के साथ प्रजा के लिए कल्याण कार्य करती रही। इसलिए वो अपनी प्रजा की स्नेहभाजन बन गई थी। तत्पश्चात ब्रिटिश अधिकारियो ने राज्य का खजाना जब्त कर लिया और उनके पति के क़र्ज़ को रानी के सालाना खर्च में से काटने का फरमान जारी कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप रानी को झाँसी का किला छोड़ कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा।

मार्च 1854 को रानी लक्ष्मीबाई को झाँसी का किला छोड़ते समय 60000 रुपये और सालाना 5000 रुपये दिए जाने का आदेश दिया। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नही हरी और उन्होंने हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया। ब्रिटिश अधिकारी अधिकतर उन्हें झाँसी की रानी कहकर ही बुलाते थे।ईसि समय,ईनकि मोत हो गयी।






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JMK1: i think the first para is best for you..you can pick out points from any part..
Answered by BrainlyHindiDinkar
3

Answer:-

रानी लक्ष्मी बाई

रानी लक्ष्मी बाई स्वतंत्रता के लिए भारत के पहले संघर्ष के प्रमुख योद्धाओं में से एक थीं। बहादुरी, देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक, रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को पूना में हुआ था। उसका वास्तविक नाम मणिकर्णिका था। उनके पिता मोरोपंत तबमे एक अदालत के सलाहकार थे, और माँ भागीरथी एक विद्वान महिला थीं। बहुत कम उम्र में उसने अपनी माँ को खो दिया। उसके पिता ने उसे एक अपरंपरागत तरीके से उठाया और हाथियों और घोड़ों की सवारी करने के लिए और हथियारों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए सीखने के लिए उसका समर्थन किया। वह नाना साहिब और तात्या टोपे के साथ पली-बढ़ी, जो स्वतंत्रता के पहले विद्रोह में सक्रिय भागीदार थे।

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