write the summary of hindi chapter 3 for class 6
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केशव और श्यामा दोनो भाई बहन थे। उनके घर के कार्निस पर चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई हर दिन चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते। उनको देखने में वे लोग इतने मग्न हो जाते कि उन्हें अपने खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रहता। अंडों को देख कर बच्चों के मन में कई प्रकार के सवाल उठते जैसे कब बड़े होंगे, किस रंग के होंगे, बच्चे किस तरह निकलेंगे। पिता पढ़ने-लिखने में तो माँ घर के काम में व्यस्त रहते थे इसलिए इन बातों का जवाब देन वाला कोई नहीं था। दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके दिल को तसल्ली दे लेते।
इस तरह से तीन चार दिन गुजर गए। दोनों बच्चे चिड़िया के बच्चो के लिए परेशान थे। उन्हें लग रहा था कि कहीं अंडों से निकलने वाले बच्चे भूख-प्यास से ना मर जाएँ। उन्हें बचाने के लिए उन्होंने खाने के लिए चावल के दानों का और पीने के लिए पानी का इंतजाम किया। छाया के लिए कूड़े की बाल्टी और अंडो के नीचे कपड़े की मुलायम गददी बनाकर रखी।
गरमी के दिनों में जब पिता दफ़्तर गए हुए थे और अम्मा सो रहीं थीं तब बच्चों ने इंतजाम किये हुए सामान द्वारा अंडों की हिफाजत करने की सोची। जैसे ही केशव ने अंडों को हाथ लगाया, दोनों चिड़िया उड़ गयीं। दोनों ने अंडों को अच्छे ढंग से रखा और दाना-पानी भी रख दिया। वे दोनों सोने चल गए।
सोकर जब वे उठे तो उन्होंने देखा कि अंडे टूटकर नीचे गिरे हुए टूटे पड़े थे। अम्मा को जब यह बात पता चली कि केशव ने अंडों को छेड़ा था तब उन्होंने बच्चों को बताया कि अंडों को छूने से चिड़िया के अंडे गन्दे हो जाते हैं और फिर चिड़िया उन्हें नहीं सेती। यह जानकर केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस हुआ। उसके बाद वे दोनों चिड़िया वहा कभी नहीं दिखाई दी।