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(क) सूर के पद 'हरि है राजनीति पढ़ि आए' का मूल स्वर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए।
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O सूर के पद 'हरि है राजनीति पढ़ि आए' का मूल स्वर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए।
► ‘हरि है राजनीति पढ़ि आए’ पंक्तियों के माध्यम से गोपियां आपस में बातें करते हुए श्रीकृष्ण पर कटाक्ष कर रही हैं। वह कह रही हैं कि श्रीकृष्ण तो पहले से ही चतुर चालाक थे, वे तो पहले से ही बुद्धिमान थे। अब वह मथुरा जाकर राजनीति पढ़ लिए हैं, गुरु ग्रंथ पढ़ लिए हैं और अब और ज्यादा बुद्धिमान होने की कोशिश कर रहे हैं, अब हमें योग साधना की शिक्षा देने लगे हैं।
गोपियां इन पंक्तियों के माध्यम से श्रीकृष्ण पर राजनीति पढ़कर आवश्यकता से अधिक चतुर बनने की कोशिश पर व्यंग्य करती हैं।
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