या माया झूठी की लालच दूहू दृग अंध भयो का भावार्थ
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या माया झूठी की लालच दूहु दृग अंध भयो।
संदर्भ — ये सूरदास द्वारा रचित पद की पंक्तियां हैं। सूरदास हिंदी के महान कवि थे।
भावार्थ — सूरदास जी कहते हैं कि इस संसार की मोह-माया ने मेरी आँखों पर परदा डाल रखा है। धन रूपी माया के लोभ में आकर मैं अंधा हो गया हूँ जिसके कारण मुझे प्रभु-भक्ति रूपी ज्ञान का मार्ग भी दिखाई नही दे रहा है।
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