' येन एते वृक्षा : फलन्ति ' - अत्र कर्तृपदं किम् ?
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Explanation:
जिस तरह से वृक्ष अपने फल खुद को नहीं खाता
वो दुसरो के लिए ही अपने फल को त्याग देता अर्थात
वो फल दूसरे लोग ही खाते है,
जिसे तरह नदिया परोपकार के लिये बहती है अर्थात
नदियों के पानी को किसान लोग खेती में प्रयोग करते है,
पानी पिने के लिए प्रयोग करते है,
जिस तरह गाय अपना दूध खुद नहीं पीती अर्थात
गाय का दूध अन्य लोग ही पीते है
उसी तरह अपना जीवन परोपकार के लिये इस्तेमाल करना चाहिये |
|| जय श्री कृष्ण ||
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