येन केनापि धनस्युतः चोरितः तस्य यष्टिका अंगुलिमत्रं दीर्घा भविष्यति।
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Answer:
यत् – जो भी
प्रोक्तम् – कथितम्। कहा गया है
येन – जिस
केन – किसी ने
अपि – भी
तस्य – उस का
तत्त्वार्थनिर्णयः – वास्तविकः अर्थः। सही मतलब
कर्तुम् – करना
शक्यः – मुमकिन
भवेत् – हो सकता है
येन – जिस से
सः – असौ। वह
विवेकः – विवेक (सही गलत समझने का ज्ञान)
इति – ऐसा
ईरितः – कथितः। कहा गया है।
अन्वयः –
येन केन अपि (मानवेन) यत् (किमपि) प्रोक्तं तस्य तत्त्वार्थनिर्णयः येन कर्तुं शक्यः, सः विवेकः इति ईरितः (अस्ति)।
हिन्द्यर्थः –
जिस किसी भी मनुष्य ने जो कुछ भी कहा है, उसका सही मतलब जिस से समझना मुमकिन होता है, उसे ‘विवेक’ ऐसा कहा गया है।
हम व्यवहार में देखते हैं कि हमरे साथ बहुत सारे लोग बाते करते हैं। परन्तु बहुत बार हमें कुछ ऐसे भी लोग मिल जाते हैं जो बोलते हैं कुछ और उनके कहने का मतलब होता है कुछ और। ऐसे चक्कर में हम फस जाते हैं और हमारा नुकसान हो जाता है।
इसीलिए हमें हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए कि सामने वाला हमारे साथ जो भी बात कर रहा है उसके पीछे का मतलब क्या है? इसके बारे में हमें हमेशा सोचना चाहिए। क्या उसके मन में कोई स्वार्थ तो नहीं? हम से मिलने वाली हर व्यक्ति हम से प्यार भरी बाते ही करती हैं। परन्तु उसके मन में छुपा हुआ स्वार्थ हमें अपनी बुद्धि से पहचानना चाहिए। और उसी बुद्धि को विवेक कहते हैं।