यासुक चान को पोलयो था, इसलए वह न तो कसी पेड़ को नजी
संप मानता था।अतः तोो चान नेउसेअपनेपेड़ पर आमंत कया था।
पर यह बात उहोनेकसी सेनह कही,यक अगर बड़ेसुनतेतो ज़र
डाँटते।घर सेनकतेसमय तोो चान नेमाँसेकहा क वह यासुक चान के
घर डने ेनचोफुजा रही है। राँक उसके पीछेपीछेटेशन तक आया।
जानेसेपहलेउसेसच बताए बना तोो चान सेरहा नह गया।
(क) यासुक चान क मज़बूरी या थी ?
(ख) यह गांश सातव का के कौन सी पाठ सेलया गया है?
( ग) तोो चान नेकसको अपनेपेड़ पर आमंत कया था ?
(घ) यासुक चान का घर कहाँथा ?
(ङ) तोो चान नेकसेसच बताया था?
Answers
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाता था। उसे पेड़ ...
'यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने . यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था। लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा ...
"Question 4 यासुकी-चान के लिए पेड़ पर .
Dec 6, 2017 — पोलियो के कारण यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाना बहुत कठिन था।तोत्तो - चान भी यह जान गई थी कि यह काम बहुत कठिन और जोखिम भरा था। ... अतः वह दोबारा इस जोखिम को कभी नहीं उठाएगी और किसी मदद के बिना यासुकी - चान के लिए ... प्रथम आने वाले विद्यार्थी को पुरस्कार दिया जाएगा | रचना के आधार पर वाक्य के भेद क्या होगा ?
यासुकी - चान को अपने पेड़ पर .
Jan 8, 2021 — उत्तर:- यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। जबकि जापान के शहर तोमोए में हर एक बच्चे का एक निजी पेड़ ...
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर .
Jun 25, 2010 — यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाता था। उसे पेड़ ...
छककर सुख-दुख के घूँटों कोहम एक .
यह मत पूछो, चलना है, बस इसलिए चले, जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले, दो बात कही. ... एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, ... अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। ... कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है?