Hindi, asked by rani2366, 1 year ago

य से शुरू होने वाले दोहे।

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Answered by bhatiamona
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Answer:

—    कबीर दास

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।

सीस दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।।

कबीर जी इस दोहे में कहते है ,

हमारा शरीर एक विष से व्याप्त पौधे के सामान है , मनुष्य शरीर को गुरु रूपी अमृत ही स्वच्छ कर सकता है| हम  अपने जीवन को गुरु रूपी अमृत पाने के लिए त्याग करना पड़े तो यह सबसे सस्ता रास्ता है |  

—    कबीर दास

यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ।

ढबका लागा फूटिगा, कछू न आया हाथ॥

कबीर जी इस दोहे में कहते है ,  

मनुष्य शरीर को मिटटी क कच्चे घड़े से तुलना करते है | हे मनुष्य यह तू  शरीर कच्चा घड़ा है  ,अपने साथ लिए घूमता है , फिरता है | इसमें जता सी चोट लगते ही यह फुट जाएगा तेरे हाथ कुछ भी ही आएगा |

—    रहीम दास

याते जान्यो मन भयो, जरि बरि भस्म बनाय।

रहिमन जाहि लगाइये, सो रूखो ह्वै जाय॥

रहीम दास जी इस दोहे में कहते है ,  

जिससे भी मन हृदय लगाते हैं वही दगा धोखा दे जाता है।

इससे रहीम का हृदय जलकर राख हो गया है। किसी पर भरोसा करने का मन नहीं करता|  जिसका  हृदय ईर्ष्या भरा है उसे कोन अपना हृदय देना चाहेगा |  

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