येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः, मनुष्यरुपेण मृगाश्चरन्ति।।1।।
bhavarth
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जिसके पास न तो विद्या है न दान करता है न ज्ञान है न शील है न गुण है न ही धर्म है I
वे इस मृत्युलोक के भूमि पर भार हैं और मनुष्य के रूप में पशु के समान जी रहे हैं I
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Answer:
जिसके पास न तो विद्या है न दान करता है न ज्ञान है न शील है न गुण है न ही धर्म है I
वे इस मृत्युलोक के भूमि पर भार हैं और मनुष्य के रूप में पशु के समान जी रहे हैं I
Explanation:
Step : 1 जिस मनुष्य के पास न विद्या है , न तप है न दान देने की प्रवृत्ति है । उसके पास न ज्ञान है न उत्तम आचरण है , न तो कोई गुण है और न धर्म के प्रति आस्था है , वे लोग इस मृत्यु लोक मे पृथ्वी पर भार बनकर मनुष्य के रूप मे पशु होकर विचरण करते है ।
Step : 2 येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।
जिसके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं वह मनुष्य ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग।
Step : 3 ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।। अर्थ : जिसके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं वह मनुष्य ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग।जिनके पास यह कुछ नहीं है… विद्या. तप. ज्ञान. अच्छा स्वभाव. गुण. दया भाव. …वो धरती पर मनुष्य के रूप में घुमने वाले पशु है. धरती पर उनका भार है.
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