Hindi, asked by payalkumari96, 7 months ago

यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही
यह पड़ा मन में बिठाना।
हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही,
बाट की पहचान कर ले।
)
है अनिश्चित किस जगह पर
सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर
बाग वन सुंदर मिलेंगे।
किस जगह यात्रा खतम
हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित कब सुमन,
कब कंटकों के शर मिलेंगे।
कौन सहसा छूट जाएँगे,
मिलेंगे कौन सहसा,
आ पड़े कुछ भी रुकेगा
तू न, ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही,
बाट की पहचान कर ले।
-हरिवंशराय बच्चनकविता में सुमन व कंटक ओके सर से कवि का क्या तात्पर्य है ,कविता में सुमन व कंटक ओके सर से कवि का क्या तात्पर्य है ​

Answers

Answered by abi2492005
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Answer:

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form

theek dhillon rukh filmon ghol n.

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Answered by rishikumarmahto86
0

Explanation:

24000 समाज यात्रा सरल इससे बनेगी सोच मत केवल तुझे ही या पड़ा मन में बिठाना आशय स्पष्ट करें

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