Hindi, asked by StarTbia, 1 year ago

यात्रा-वृत्तांत विधा की जानकारी प्राप्त कीजिए| उसकी सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए|
Hindi Class X SCERT Telangana Ch 9

Answers

Answered by KomalaLakshmi
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 प्रस्तुत प्रश्न दक्ष्ण गंगा गोदावरी नामक पाठ से दिया गया है|इस पाठ कविता विधा में है|यह कविता काका कालेकर जी से लिखा गया है|इनका पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेकर है|उनका जन्म दिसंबर १८८५ को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ और मृत्यु १९९१ में हुई|इन्होने आजीवन गांधीवादी  विचारधारा का पालन किया|इन्होंने हिन्दुस्तानी प्रचार सभा से,वार्धा के माध्यम से हिंदी की खूब सेवा की|इन्हों ने कहा था कि राष्ट्र भाषा प्रचार हमारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है|स्मरण यात्रा,धर्मोदय,लोकमाता,आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ है|वे राज्य सहभा के सदस्य भी रह चुके थे|

Answered by mrAniket
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उनका जन्म 1 दिसम्बर 1885 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से कर्नाटक के करवार जिले का रहने वाला था और उनकी मातृभाषा कोंकणीथी। लेकिन सालों से गुजरात में बस जाने के कारण गुजराती भाषा पर उनका बहुत अच्छा अधिकार था और वे गुजराती के प्रख्यात लेखक समझे जाते थे।

जिन नेताओं ने राष्ट्रभाषा प्रचार के कार्य में विशेष दिलचस्पी ली और अपना समय अधिकतर इसी काम को दिया, उनमें प्रमुख काकासाहब कालेलकर का नाम आता है। उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत माना है। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अधिवेशन में (1938) भाषण देते हुए उन्होंने कहा था, हमारा राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है।

उन्होंने पहले स्वयं हिंदी सीखी और फिर कई वर्षतक दक्षिण में सम्मेलन की ओर से प्रचार-कार्य किया। अपनी सूझ-बूझ, विलक्षणता और व्यापक अध्ययन के कारण उनकी गणना प्रमुख अध्यापकों और व्यवस्थापकों में होने लगी। हिंदी-प्रचार के कार्य में जहाँ कहीं कोई दोष दिखाई देते अथवा किन्हीं कारणों से उसकी प्रगति रुक जाती, गांधी जी काका कालेलकर को जाँच के लिए वहीं भेजते। इस प्रकार के नाज़ुक काम काका कालेलकर ने सदा सफलता से किए। इसलिए 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति' की स्थापना के बाद गुजरात में हिंदी-प्रचार की व्यवस्था के लिए गांधी जी ने काका कालेलकर को चुना। काका साहब की मातृभाषा मराठी थी। नया काम सौंपे जाने पर उन्होंने गुजराती का अध्ययन प्रारंभ किया। कुछ वर्ष तक गुजरात में रह चुकने के बाद वे गुजराती में धाराप्रवाह बोलने लगे। साहित्य अकादमी में काका साहब गुजराती भाषा के प्रतिनिधि रहे। गुजरात में हिंदी-प्रचार को जो सफलता मिली, उसका मुख्य श्रेय काका साहब को है।

काका कालेलकर जी का निधन 21 अगस्त 1981 में 96 साल की उम्र में हुआ।

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