यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने तथा दो अन्य सुझाव देते हुए यातायात पुलिस आयुक्त को पत्र लगभग 80से100 शब्दों में लिखिए।
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सड़क पर सुरक्षित सफर के लिए यातायात नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है, लेकिन नशाखोर, जल्दबाज एवं तेज गति में वाहन चलाने के शौकिन चालकों की वजह से सड़क हादसों में हर साल वृद्धि होती जा रही है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए न केवल पुलिस महकमा, बल्कि क्षेत्रिय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) का गठन किया गया है, लेकिन अब तक दोनों ही विभाग नियमों का पालन कराने में विफल ही दिखाई देते हैं। लापरवाह चालकों द्वारा रोजाना नियमों को तोड़ा जा रहा है, मगर ये दोनों विभाग कार्रवाई के नाम पर चालान काटने एवं अपनी जेबें भरने तक सीमित नजर आते हैं।
सड़क पर चलते वक्त सुरक्षा मानकों के मद्देनजर यातायात नियम तय किए गए हैं। मगर इनका सरेआम उल्लंघन किया जाता रहा है। वाहन चालकों द्वारा बार-बार उल्लंघन करने या चालान कटने की सूरत में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होने को साफ तौर पर उठाया जा रहा है। वाहन चालक जहां नशाखोरी एवं लापरवाही व तेज गति से वाहन चलाकर बार-बार हादसों को अंजाम देते रहते हैं, वहीं यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालक बार-बार इसकी पुनरावृति करते रहते हैं।
यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पुलिस की चालान बुक में 75 ¨बदु तय किए गए हैं। इन 75 ¨बदुओं का उल्लंघन पाए जाने पर वाहन चालक का चालान किया जा सकता है और आवश्यक दस्तावेज मौजूद न होने पर गाड़ी को इंपाउंड करने का भी प्रावधान किया गया है। मगर भ्रष्टाचार के चलते अनेक ऐसे चालक बार-बार पुलिस या आरटीए के कर्मचारियों को पैसा देकर पाक साफ निकल जाते हैं। हालांकि पुलिस के पास भारी वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई करने की कोई पावर नहीं है। जिसका फायदा भारी वाहन चालक धड़ल्ले से उठाते हैं। पुलिस के पास भारी वाहनों के विरुद्ध पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट के तहत कार्रवाई का अधिकार है, मगर पुलिस से¨टग के चलते महज कुछ चालान करके अपने कर्तव्य का इतिश्री कर लेती है। जबकि इस एक्ट में चालक ही नहीं, अपितु मालिक के विरुद्ध भी केस दर्ज कर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।
जिला महेंद्रगढ़ में ट्रैफिक इंचार्ज जब लेडी सब इंस्पेक्टर वीना राणा थी, तब उनका खौफ पूरे जिले के वाहन चालकों पर साफ नजर आता था। मगर उनके तबादले के बाद हालात बदल गए हैं। ट्रैफिक पुलिस में भर्ती पुरुष कर्मचारियों को वीना राणा ने अपनी कार्यशैली से बौना सिद्ध कर दिया था। उन्होंने न केवल वाहन चालकों के उल्लंघन करने पर चालान किए, बल्कि उनको ट्रैफिक के नियमों के प्रति सजग भी किया। वे नारनौल के अलावा कनीना, महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी एवं अटेली समेत पूरे जिले में घूमती रहती थी। मगर सत्ता प्रभाव की काली छाया से वे बच नहीं सकी।
इसी प्रकार बड़े वाहनों के विरुद्ध नियमों का उल्लंघन करने पर कार्यवाही का अधिकार क्षेत्रिय परिवहन प्राधिकरण के पास है, मगर इस विभाग में भ्रष्टाचार ने जड़े जमा रखी हैं। चालक खासकर ओवरलोड डंपर एवं ट्रक चालक विभाग तक संपर्क रखते हैं और पैसा एवं प्रभाव के बल पर बेरोकटोक चलते हैं। आरटीए की टीम उन रूटों पर कभी-कभार नजर आती हैं, जिस रूट के चालकों के तार इनसे नहीं जुड़े होते। हालात इस कद्र खराब हैं कि जिले में गुप्त गैंग भी आरटीए एवं एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों से मिलीभगत करके विभिन्न रूटों से भारी वाहनों की पा¨सग कराती है। इस गुप्त गैंग के जरिए प्रति ओवरलोड डंपर एवं ट्रक के हिसाब से रुपये का लेन-देन होता है। यह अक्सर सड़क मार्गो पर बने पेट्रोल पंपों, प्रदूषण केंद्रों एवं टायर पंचर के खोखों पर नजर आती है और दिनभर अधिकारियों के आने-जाने की सूचना अपने अधीन चलने वाले वाहन चालकों को देते रहते हैं।
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सड़क पर चलते वक्त सुरक्षा मानकों के मद्देनजर यातायात नियम तय किए गए हैं। मगर इनका सरेआम उल्लंघन किया जाता रहा है। वाहन चालकों द्वारा बार-बार उल्लंघन करने या चालान कटने की सूरत में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होने को साफ तौर पर उठाया जा रहा है। वाहन चालक जहां नशाखोरी एवं लापरवाही व तेज गति से वाहन चलाकर बार-बार हादसों को अंजाम देते रहते हैं, वहीं यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालक बार-बार इसकी पुनरावृति करते रहते हैं।
यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पुलिस की चालान बुक में 75 ¨बदु तय किए गए हैं। इन 75 ¨बदुओं का उल्लंघन पाए जाने पर वाहन चालक का चालान किया जा सकता है और आवश्यक दस्तावेज मौजूद न होने पर गाड़ी को इंपाउंड करने का भी प्रावधान किया गया है। मगर भ्रष्टाचार के चलते अनेक ऐसे चालक बार-बार पुलिस या आरटीए के कर्मचारियों को पैसा देकर पाक साफ निकल जाते हैं। हालांकि पुलिस के पास भारी वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई करने की कोई पावर नहीं है। जिसका फायदा भारी वाहन चालक धड़ल्ले से उठाते हैं। पुलिस के पास भारी वाहनों के विरुद्ध पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट के तहत कार्रवाई का अधिकार है, मगर पुलिस से¨टग के चलते महज कुछ चालान करके अपने कर्तव्य का इतिश्री कर लेती है। जबकि इस एक्ट में चालक ही नहीं, अपितु मालिक के विरुद्ध भी केस दर्ज कर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।
जिला महेंद्रगढ़ में ट्रैफिक इंचार्ज जब लेडी सब इंस्पेक्टर वीना राणा थी, तब उनका खौफ पूरे जिले के वाहन चालकों पर साफ नजर आता था। मगर उनके तबादले के बाद हालात बदल गए हैं। ट्रैफिक पुलिस में भर्ती पुरुष कर्मचारियों को वीना राणा ने अपनी कार्यशैली से बौना सिद्ध कर दिया था। उन्होंने न केवल वाहन चालकों के उल्लंघन करने पर चालान किए, बल्कि उनको ट्रैफिक के नियमों के प्रति सजग भी किया। वे नारनौल के अलावा कनीना, महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी एवं अटेली समेत पूरे जिले में घूमती रहती थी। मगर सत्ता प्रभाव की काली छाया से वे बच नहीं सकी।
इसी प्रकार बड़े वाहनों के विरुद्ध नियमों का उल्लंघन करने पर कार्यवाही का अधिकार क्षेत्रिय परिवहन प्राधिकरण के पास है, मगर इस विभाग में भ्रष्टाचार ने जड़े जमा रखी हैं। चालक खासकर ओवरलोड डंपर एवं ट्रक चालक विभाग तक संपर्क रखते हैं और पैसा एवं प्रभाव के बल पर बेरोकटोक चलते हैं। आरटीए की टीम उन रूटों पर कभी-कभार नजर आती हैं, जिस रूट के चालकों के तार इनसे नहीं जुड़े होते। हालात इस कद्र खराब हैं कि जिले में गुप्त गैंग भी आरटीए एवं एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों से मिलीभगत करके विभिन्न रूटों से भारी वाहनों की पा¨सग कराती है। इस गुप्त गैंग के जरिए प्रति ओवरलोड डंपर एवं ट्रक के हिसाब से रुपये का लेन-देन होता है। यह अक्सर सड़क मार्गो पर बने पेट्रोल पंपों, प्रदूषण केंद्रों एवं टायर पंचर के खोखों पर नजर आती है और दिनभर अधिकारियों के आने-जाने की सूचना अपने अधीन चलने वाले वाहन चालकों को देते रहते हैं।
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