युधिष्ठिर और दुर्योधन का चरित्र चित्रण करे महाभारत की एक साँझ एकांकी के आधार पर
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महाभारत की एक साँझ एकांकी में दुर्योधन एक प्रमुख पात्र बन कर उभरता है . वह धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था .उसका मूल नाम सुयोधन था पर अपने दुराचरण के कारन दुर्योधन के रूप में जाना जाने लगा . वह अत्यंत वीर ,पराक्रमी तथा युध्य विद्या में कुशल था . वह सोचता था की यदि उसके पिता अंधे नहीं होते तो वही हस्तिनापुर का राजा बनता . उसके पिता धृतराष्ट्र ने उसके पुत्र मोह में अंधे होकर उसे निरंकुश और स्वेच्छाचारी बना दिया .
वह पांडवों को सुई की नोक के बराबर भी भूमि देने के लिए तैयार नहीं था .इसी जिद के कारण महाभारत का युध्य हुआ .लेकिन कौरवों के सभी पक्षकार मारे गए .घायल होकर दुर्योधन स्वयं भी एक सरोवर में जा छिपा ,लेकिन पांडवों ने उसे वहाँ भी नहीं छोड़ा .भीम के साथ दुर्योधन का भीषण गदा युध्य हुआ .श्रीकृष्ण के कहने पर भीम ने उसकी जंघा पर प्रहार किया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी . दुर्योधन ने अंत समय में भी महाभारत के युद्ध के लिए पांडवों को दोषी ठहराया .उसे इस बात का दुःख था कि उसके पिता यदि अंधे न होते तो वह इस प्रकार न मारा जाता ,वह आज हस्तिनापुर का राजा होता .
हिंदू महाकाव्य महाभारत में, युधिष्ठिर राजा पांडु और रानी कुंती के सबसे बड़े बेटे और इंद्रप्रस्थ के राजा और बाद में हस्तिनापुरा (कुरु) के थे। वह कुरुक्षेत्र युद्ध में सफल पांडव पक्ष के नेता थे।युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे।
In Mahabharata, Duryodhana emerges as a leading character. He was the eldest of the sons of Dhritarashtra. His original name was Sudhodan but due to his misdeeds, it became known as Duryodhana. He was very brave, mighty and skillful in learning. He used to think that if his father was not blind then he would become the king of Hastinapur.