युवा पीढ़ी की आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के लिए स्वाधीन चेतना का होना बहुत आवश्यक है इस कथन का विश्लेषण कीजिए
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¿ युवा पीढ़ी की आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के लिए स्वाधीन चेतना का होना बहुत आवश्यक है इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
✎... युवा पीढ़ी की आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के लिए स्वाधीन चेतना का होना बेहद आवश्यक है, इस कथन का आशय यह है कि जो व्यक्ति पराधीन होता है, वह कठपुतली की भांति होता है, अर्थात उसके विचार और विचार शक्ति सब कठपुतली की भांति दूसरे के हाथों के नियंत्रण में होते हैं।
पराधीन व्यक्ति वही देखता सुनता और कहता है, जो कि उस पर नियंत्रण स्थापित करने वाला व्यक्ति चाहता है। यदि युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनना है तो पहले उसे पराधीनता की जंजीरों से मुक्ति पानी होगी, तब ही वह अपने विचार और सोच को स्वतंत्र बना पाएगा।
आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के लिए स्वतंत्रता बेहद आवश्यक है। बिना स्वतंत्र हुए कोई भी मनुष्य आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी कदापि नहीं बन सकता। इसलिये युवा पीढ़ी को यदि आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनना है तो उसे सबसे पहले अपने अंदर स्वाधीन चेतना का विकास करना होगा।
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